एक उम्र के बाद हर महिला के अंदर हार्मोनल बदलाव आते हैं | यह बदलाव उसे कई नई चीजों से मिलती है, वहीं कुछ पुरानी अवस्थाएं खत्म हो जाती है | Perimenopause (पेरिमेनोपॉज), जिसे रजोनिवृत्ति संक्रमण भी कहा जाता है, यह वह समय होता है जिसमें महिला के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं|
मेनोपॉज जिसको हिंदी में रजोनिवृत्ति कहा जाता है ,वह स्थिति होती है जिसमें महिलाओं में माँ बनने की क्षमता और मासिक धर्म आना बंद हो जाता है | मेनोपॉज अधिकतर 40 – 45 की आयु के बाद आता है जिसमें कई तरह की शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं | मेनोपॉज से पहले आने वाले समय को पेरिमेनोपॉज कहते हैं,जिसमे कई तरह के प्रभाव महिला के जीवन में पड़ते हैं| जिसकी जानकारी और समझ होना एक महिला के लिए तो खासकर अनिवार्य है | आगे हम इस Perimenopause (पेरिमेनोपॉज) को गहरायी से समझेंगे की आखिर ये होता क्यों है?
Perimenopause (पेरिमेनोपॉज) क्या होता है?
पेरिमेनोपॉज का समय महिलाओं के जीवन में आम तौर पर 35 की उम्र के आसपास शुरू होता है, लेकिन कभी-कभी इससे पहले या बाद में भी शुरू हो सकता है। इस दौरान हार्मोनों का स्तर, खासकर एस्ट्रोजन में उतार-चढ़ाव होता है, जिससे मासिक धर्म अनियमित हो सकता है और कई अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
पेरिमेनोपॉज का समय 2 से 10 वर्ष तक का हो सकता है यह चरण रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) आने से पहले कई सालों तक चल सकता है। मासिक धर्म की तरह ओवुलेशन साइकिल भी अनियमित हो जाता है जैसे की अगर पहले महीने में एक अंडा रिलीज होता था तो अब 2-3 महीने में ऐसा होता है |
Perimenopause (पेरिमेनोपॉज) के लक्षण
35 की उम्र के बाद पेरिमेनोपॉज के लक्षण आने शुरू हो जाते हैं हालांकि महिला की उम्र कम या ज्यादा भी हो सकती है | लक्षण कुछ इस प्रकार के दिखाई देते हैं-
- मूड में बदलाव, हार्मोन्स बदलने के कारण महिला मे चिड़चिड़ापन, अवसाद या मूड में उतार-चढ़ाव।
- एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्या बनी रहती है।
- मासिक धर्म चक्र का कम ज्यादा होना या असमय आना
- ज्यादा पसीना आना या रात मे सोते समय पसीना आना
- शरीर में अचानक गर्मी का आना (हॉट फ्लैशेस )
- नींद की समस्या
- अधिक उरिनाशन होना
- कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो लम्बे समय के बाद दिखाई देना चालू होते हैं ,जैसे की हड्डियां पतली हो सकती हैं या कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। इसलिए यह जरुरी है की अपने स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से नियमित जाँच करवाते रहें |
पेरिमेनोपॉज होने का क्या कारण है ?
यह बात जानना बहुत जरुरी है की Perimenopause (पेरिमेनोपॉज)पूरी तरह से नेचुरल प्रक्रिया है जो की हर एक महिला को होती है ,यह किसी भी तरह की बीमारी या रोग नहीं है | पेरिमेनोपॉज एक उम्र के बाद सभी महिला को होती है इसके बाद रजोनिवृत्ति आ जाती है | लेकिन कुछ ऐसे कारण जरूर होते हैं जिसकी वजह से कुछ महिलाओं को समय से पहले पेरिमेनोपॉज हो सकता है |
- धूम्रपान ऐसा देखा गया है कि जिन महिलाओं को धूम्रपान की आदत होती है उन्हें रजोनिवृत्ति 1 से 2 साल पहले आ जाती है | इसलिए अगर आपको ऐसी कोई आदत है तो आपको तुरंत त्याग देनी चाहिए |
- कीमोथेरेपी अगर आपको पहले कैंसर हो चुका है और आपने कीमोथेरेपी ली हुई है तो उससे निकलने वाली रेडिएशन आपकी क्षमता जल्दी कम कर सकता है|
- जेनेटिक अगर आपके परिवार में औरतों को जल्दी पेरिमेनोपॉज आने की समस्या है तो उसकी वजह से भी आपको यह जल्दी आहत कर सकता है|
- हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी इस सर्जरी के समय महिला का गर्भाशय किसी दिक्कत की वजह से निकाल दिया जाता है | अगर सिर्फ गर्भाशय निकाला जाता है,और अंडाशय नहीं, तो आमतौर पर रजोनिवृत्ति नहीं होती। मासिक धर्म तो बंद हो जाते हैं, लेकिन अंडाशय फिर भी एस्ट्रोजन बनाते रहते हैं।
जैसे की हमने ऊपर पढ़ा की यह एक पूरी तरह नेचुरल प्रक्रिया है तो इसका कोई इलाज संभव नहीं है | लकिन अगर आपको इसके दौरान किसी तरह की तकलीफ हो रही है तो उसको नियंत्रण में लाने के लिए कुछ उपाय जरूर हैं, जैसे की, हो सकता है कि इस ऑपरेशन के बाद थोड़ा जल्दी रजोनिवृत्ति आ जाए। साथ ही, अगर एक अंडाशय निकाल दिया जाए, तो दूसरा अंडाशय उम्मीद से जल्दी काम करना बंद कर सकता है।
अगर आपको ऐसी कोई गंभीर समस्या नहीं हुई थी और आप धूम्रपान या किसी तरह का नशा नहीं करती हैं तो आपको पेरिमेनोपॉज और रजोनिवृत्ति समय से पहले नहीं सतायेंगे |
प्रबंधन और इलाज
- हार्मोनल थेरेपी – यह थेरेपी पेरिमेनोपॉज के कुछ लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकती है। हार्मोनल थेरेपी आपके एस्ट्रोजन के स्तर को स्थिर करता है जिससे आपके शरीर में होने वाले बदलाव या Perimenopause पेरिमेनोपॉज के कारण कोई दुष्प्रभाव को कम करता है | आप एस्ट्रोजन थेरेपी को क्रीम, जेल, पैच या निगलने वाली गोली के रूप में ले सकते हैं। लेकिन एक बात का ध्यान रखना चाहिए की हार्मोनल थेरेपी के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं तो इसका इस्तेमाल सावधानी से करें |
- एंटी डिप्रेसेंट्स दवाइयां – आप यह दवाई भी ले सकती हैं इससे पेरिमेनोपॉज में होने वाले मानसिक समस्या जैसे कि मूड स्विंग या अवसाद में आराम मिल सकता है |
- गर्भनिरोधक – अगर जरूरत महसूस हो तो आप गर्भनिरोधक दवाएँ भी ले सकती हैं ये भी आपके हार्मोन के स्तर को स्थिर करती हैं और आमतौर पर लक्षणों से राहत दिलाती हैं।
घरेलू प्रबंधन
यह एक नेचुरल प्रोसेस है जो की हर महिला को होना निश्चित है, इसलिए जितना हो सके इसे बिना किसी केमिकल इलाज के घर पर ही काबू किया जाये |
- डाइट – जितना हो सके हरी सब्जियां, साबुत अनाज,फल, प्रोटीन और विटामिन से भरपूर आहार लें । इन सबका सेवन आपके शरीर की इम्युनिटी को बनाये रखेगा जो की रजोनिवृत्ति संक्रमण या उसके लक्षणों से लड़ने में मदद करते है |
- लाइफस्टाइल – जितना हो सके शुरू से ही स्वस्थ जीवन शैली बनाये रखे ताकि 35 – 40 साल में आपका शरीर स्वस्थ हो ताकि पेरिमेनोपॉज के समय कम परेशानी होंगी | आपको रोजाना कम से कम 30 मिनट्स किसी भी तरह का व्यायाम या योग करना चाहिए |
पेरिमेनोपॉज के समय किसी ख़ास प्रकार का दर्द या समस्या नहीं होती, बस आपको कुछ ही बातों का ध्यान रखना होता है |
ऐसे समय में आपको अच्छी नींद और स्वस्थ जीवन रखना चाहिए और किसी भी तरह के नशा या केमिकल चीजों से अपने आप को दूर रखना चाहिए।
Dr. Rita Bakshi के साथ, आप स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में सही कदम उठा सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।