Papaya For Periods
Papaya For Periods: कैसे, कब और कितना खाना सही है?

Papaya For Periods एक ऐसा विषय है जो आजकल बहुत चर्चा में है। महिलाओं को अक्सर मासिक धर्म से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे दर्द, अनियमित चक्र और हार्मोनल बदलाव। इन सब के बीच, प्राकृतिक उपायों की तलाश करना एक आम बात है, और पपीता (Papaya) को भी इसी श्रेणी में देखा जाता है। लेकिन क्या वाकई में पपीता मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में मदद करता है? इस सवाल का सही जवाब जानना बहुत ज़रूरी है।

 

RISAA IVF और Dr. Rita Bakshi ( Senior Obs & Gynae) महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रजनन से जुड़ी हर समस्या में आपकी मदद करते आए हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि पपीता कैसे काम करता है, इससे जुड़े मिथक और सच्चाई क्या हैं, और आपको इसे लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए शुरुआत करें इस रोचक और जानकारीपूर्ण सफर की!

पपीता खाने के फायदे (Papaya Benefits)

पपीता खाने के बेहद फायदे होते हैं। यह एक ऐसा फल है जो न केवल शरीर को अंदर से साफ रखता है, बल्कि त्वचा, पाचन और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। चलिए जानते हैं पपीता खाने के कुछ मुख्य फायदे:

 

  • पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है
  • त्वचा को ग्लोइंग और हेल्दी बनाता है
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • आंखों की रोशनी तेज करता है
  • वजन घटाने में मदद करता है
  • हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाता है
  • शरीर में सूजन कम करता है
  • मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक

महिलाओं के लिए पपीते के क्या फायदे हैं?

पपीता खाने के फायदे महिलाओं के लिए खास तौर पर बहुत महत्वपूर्ण हैं। पपीता हार्मोन बैलेंस करने में मदद करता है और कई ऐसी समस्याओं को दूर कर सकता है जो महिलाओं को अक्सर परेशान करती हैं। सही मात्रा में पपीता खाने से शरीर को अंदर से मजबूत बनाया जा सकता है। आइए जानें इसके खास फायदे:

 

  • मासिक धर्म को नियमित करने में मददगार
  • प्रेग्नेंसी के बाद रिकवरी में सहायक
  • हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है
  • पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिससे त्वचा भी निखरती है
  • आयरन अवशोषण में मदद कर एनीमिया से बचाव
  • मेटाबॉलिज्म तेज कर वजन नियंत्रित रखने में मददगार
  • एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण एजिंग की प्रक्रिया धीमी होती है

पपीता खाने से पीरियड जल्दी आता है क्या? Papita Khane se Period Jaldi Aata hai kya?

Papita khane se period aata hai? यह एक बहुत आम सवाल है। पपीते में पेपेन नामक एंजाइम और कुछ नैचुरल हीटिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो यूटरस (गर्भाशय) को सक्रिय कर सकती हैं। माना जाता है कि पपीता ब्लड फ्लो बढ़ाने में मदद करता है, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। खासकर कच्चा पपीता हार्मोन को एक्टिवेट करने में थोड़ा असर दिखा सकता है।

 

हालांकि, हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए पपीता सभी के लिए एक जैसा असर नहीं करता। अगर पीरियड्स लगातार लेट हो रहे हों तो सिर्फ Papaya for periods पर निर्भर रहना सही नहीं है। डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

पीरियड्स के लिए पपीता खाने के फायदे (Benefits Of Papaya For Periods)

पीरियड्स के लिए पपीता खाने के फायदे अक्सर प्राकृतिक इलाज के तौर पर बताए जाते हैं। पपीता ऐसे पोषक तत्व और एंजाइम से भरपूर होता है जो हार्मोन बैलेंस करने और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इससे पीरियड्स से जुड़ी कई सामान्य समस्याओं में राहत मिल सकती है। आइए जानते हैं इसके खास फायदे:

 

  • अनियमित पीरियड्स को नियमित करने में मदद करता है
  • नैचुरल तरीके से गर्भाशय की हल्की सिकुड़न को बढ़ाता है
  • मासिक धर्म के दर्द (cramps) को कम करता है
  • हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मददगार
  • शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है
  • पीरियड्स के दौरान सूजन (bloating) को कम करता है
  • थकान को दूर कर एनर्जी लेवल बढ़ाता है
  • विटामिन A, C और E जैसे ज़रूरी पोषक तत्व प्रदान करता है

पीरियड्स के लिए पका या कच्चा पपीता – क्या बेहतर है? Ripe Or Unripe Papaya For Periods?

पीरियड्स में पपीता किस रूप में ज़्यादा फायदेमंद है, कच्चा या पका? आइए, इसे थोड़ा और करीब से समझते हैं। दोनों के अपने फायदे हैं, लेकिन पीरियड्स को नियमित करने और हार्मोनल संतुलन बनाने के लिए कच्चा पपीता ज़्यादा असरदार माना जाता है। वहीं, पका पपीता शरीर को ऊर्जा और पोषण देता है। आगे इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि आपके लिए कौन-सा बेहतर है।

पीरियड्स के लिए कच्चा पपीता (Raw Papaya for Periods)

कच्चा पपीता मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें पपाइन नामक एक एंजाइम पाया जाता है, जो गर्भाशय की गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे पीरियड्स के दौरान सिकुड़न (contractions) अधिक हो सकती है। यह प्रक्रिया पीरियड्स को जल्दी लाने में मदद करती है और मासिक धर्म के दर्द को कम करने में सहायक होती है। इसके अलावा, कच्चा पपीता शरीर के अंदर रक्त के प्रवाह को सामान्य कर सकता है, जिससे पीरियड्स का चक्र नियमित हो सकता है। हालांकि, इसे हमेशा सीमित मात्रा में ही सेवन करें।

पीरियड्स के लिए कच्चा पपीता कैसे खाएं (How to Eat Unripe Papaya for Periods)

कच्चा पपीता खाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है इसे ताजे रूप में खाना। इसे सलाद, जूस या बिना पकाए खा सकते हैं। आप कच्चे पपीते का जूस भी बना सकते हैं, जो शरीर में पपाइन के सभी फायदे प्रदान करेगा। कच्चा पपीता शरीर को अंदर से साफ करता है, और इसके पाचन संबंधी गुण पीरियड्स के दौरान पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं। इसे नियमित रूप से खाना पीरियड्स को संतुलित रखने में सहायक हो सकता है।

पीरियड्स के लिए कच्चे पपीते की कितनी मात्रा खानी चाहिए (How Much Unripe Papaya for Periods)

कच्चे पपीते की सही मात्रा व्यक्ति के स्वास्थ्य और आवश्यकता पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर, प्रतिदिन आधे कप से एक कप कच्चा पपीता खा सकते हैं। हालांकि, यदि आप इसे पहली बार खा रहे हैं, तो थोड़ी मात्रा से शुरू करें ताकि किसी प्रकार की असहजता महसूस न हो। यदि पीरियड्स से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर पपीते का सेवन करना हमेशा बेहतर होता है।

पीरियड्स के लिए पका पपीता (Ripe Papaya for Periods)

पका पपीता भी सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं पर उतना असर नहीं डालता। पका पपीता विटामिन A, C और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो त्वचा और पाचन तंत्र के लिए अच्छा है। पपीते में हल्का मूत्रवर्धक (diuretic) गुण भी होता है, जो शरीर से अतिरिक्त पानी निकालने में मदद करता है। लेकिन मासिक धर्म के दर्द या असामान्य चक्र में सुधार के लिए पका पपीता कच्चे पपीते की तुलना में कम प्रभावी होता है।

पका हुआ पपीता पीरियड्स के लिए कैसे खाएं? (How to eat ripe papaya for periods)

पके हुए पपीते को आप सीधे ऐसे ही खा सकती हैं या स्मूदी, सलाद या जूस बनाकर ले सकती हैं। दिन में 1 से 2 बार पपीता खाने से शरीर को प्राकृतिक रूप से गर्मी मिलती है, जिससे पीरियड्स जल्दी और नियमित आ सकते हैं।

पका हुआ पपीता पीरियड्स के लिए कितना खाना चाहिए? (How much to eat ripe papaya for periods)

दिन में लगभग 150 से 200 ग्राम पका पपीता खाना पर्याप्त होता है। इससे शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं और हार्मोन भी संतुलित रहते हैं। लेकिन बहुत ज़्यादा खाने से बचें, क्योंकि इससे पेट में गर्मी या जलन हो सकती है।

पपीता खाने से प्रेग्नेंसी रुक जाती है? (Papita khane se pregnancy ruk jati hai)

अगर प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में ज्यादा मात्रा में कच्चा पपीता खाया जाए तो यह प्रेग्नेंसी को नुकसान पहुँचा सकता है। खासतौर पर अधपका या कच्चा पपीता गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है। इसलिए डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि गर्भवती महिलाएं खासतौर पर पहले तीन महीनों में पपीता खाने से बचें या डॉक्टर से पूछकर ही सेवन करें।

पीरियड्स में पपीता खाने से जुड़ी गलतफहमियाँ बनाम सच्चाई (Myths vs Facts about Eating Papaya During Periods)

गलतफहमी:

 

बहुत से लोग मानते हैं कि पीरियड्स में पपीता खाना नुकसानदायक होता है और इससे ज्यादा ब्लीडिंग होती है। कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि पपीता खाने से शरीर में असंतुलन आ सकता है।

 

सच्चाई:

 

असल में पपीता एक नेचुरल हीटिंग फूड है जो गर्भाशय को उत्तेजित करके पीरियड्स को रेगुलर करने में मदद करता है। पपीते में मौजूद एंजाइम्स ब्लड फ्लो को सुधारते हैं और पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द (cramps) को कम कर सकते हैं। संतुलित मात्रा में पका पपीता खाने से कोई नुकसान नहीं होता बल्कि शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं।

Final Words

इस ब्लॉग में हमने papaya for periods के फायदों पर चर्चा की है। हमने बताया है कि कैसे कच्चा और पका पपीता मासिक धर्म के दौरान शरीर के लिए लाभकारी हो सकता है, साथ ही इसके सेवन से जुड़ी कुछ गलतफहमियाँ और उनकी सच्चाई भी स्पष्ट की है। पपीता शरीर के भीतर रक्त प्रवाह को सुधारने, पीरियड्स के दर्द को कम करने, और मासिक धर्म को नियमित करने में मदद कर सकता है। यदि आप पपीता से जुड़ी किसी और जानकारी की तलाश में हैं, तो इस ब्लॉग में दी गई सलाह आपकी मदद कर सकती है।

 

अगर आप पीरियड्स, प्रेग्नेंसी या किसी भी महिला स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं, तो RISAA IVF और Dr. Rita Bakshi (Senior Obs & Gynae और IVF Specialist) आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार हैं। 35 वर्षों से अधिक के अनुभव और गहन विशेषज्ञता के साथ, वे आपको सही सलाह और उपचार प्रदान कर सकती हैं। किसी भी सवाल या परेशानी के लिए बेझिझक RISAA IVF से संपर्क करें, जहां आपको भरोसेमंद मार्गदर्शन और संपूर्ण देखभाल मिलेगी।

Frequently Asked Questions (FAQs)

  • पपीता महिला शरीर को क्या करता है?

पपीता विटामिन, खनिज और एंजाइम्स से भरपूर होता है, जो महिला स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। यह पाचन तंत्र को सुधारता है, सूजन को कम करता है, और त्वचा की सेहत में सुधार करता है।


  • पीरियड लाने के लिए पपीता कैसे खाएं?

पीरियड्स को नियमित करने के लिए कच्चा पपीता फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद कैरोटीन एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। कच्चा पपीता दिन में दो बार सेवन किया जा सकता है।


  • Pineapple or papaya for periods?

पाइनएप्पल में ब्रोमेलैन एंजाइम होता है, जो एस्ट्रोजन और अन्य हार्मोन को प्रभावित करता है, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। इसलिए, पीरियड्स जल्दी लाने के लिए पाइनएप्पल का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है।


  • पपीता खाने के बाद भी पीरियड ना आए तो क्या करें?

यदि पपीता खाने के बाद भी पीरियड्स नहीं आए, तो घरेलू उपायों के साथ अजवायन, अदरक, सौंफ, मेथी दाना जैसे पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, जो पीरियड्स लाने में सहायक होते हैं। हालांकि, यदि समस्या बनी रहे, तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।


  • रुका हुआ पीरियड लाने के लिए क्या करें?

रुके हुए पीरियड्स के लिए घरेलू उपाय जैसे अजवायन, अदरक, सौंफ, मेथी दाना का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव कम करने के उपाय भी प्रभावी हो सकते हैं। यदि समस्या बनी रहे, तो डॉक्टर से परामर्श करें।


  • क्या खाने से पीरियड्स जल्दी आते हैं?

पीरियड्स जल्दी लाने के लिए कच्चा पपीता, पाइनएप्पल, अजवायन, अदरक, सौंफ, मेथी दाना, धनिया के बीज, तिल के बीज, विटामिन सी युक्त आहार जैसे खट्टे फल, जामुन, ब्रोकोली, पालक, टमाटर आदि का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, इन उपायों को अपनाने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना उचित है।



ओवेरियन सिस्ट होने के कारण, लक्षण और निदान
ओवेरियन सिस्ट होने के कारण, लक्षण और निदान: Ovarian Cyst meaning in Hindi

जीवन कई रहस्यों और कठिनाइयों  से भरा होता है और अपने जीवनकाल में पुरुष और महिलाए दोनों ही कई तरह की बीमारियों का सामना करते हैं| इनमें से एक ऐसी समस्या जो कई महिलाओं को उनके जीवन के किसी न किसी समय प्रभावित करता है Ovarian Cyst जिसको हम ओवेरियन सिस्ट या अंडाशय में गांठ के नाम से भी जानते हैं| 

यह शब्द डरावना लग सकता है, लेकिन अंडाशय सिस्ट को अधिक व्यक्तिगत और मानवीय दृष्टिकोण से समझने की जरुरत होती है| यह समस्या महिलाओं के रोज की जिंदगी में ख़राब प्रभाव डाल सकती है इसलिए ओवेरियन सिस्ट को समझना और इसके होने का कारण समझना बहुत जरुरी हैं ताकि इससे प्रभावित होने वालों को आराम दिया जा सकें | लेकिन सबसे पहले हम ये जानेंगे की यह अंडाशय की गांठ होती क्या हैं? 

अंडाशय की गांठ (Ovarian Cyst) क्या है?

महिलाओ के गर्भ में होने वाले यह समस्या मूल रूप से एक तरल से भरा थैली होता जो अंडाशय पर या उसके अंदर बनता है| यह एक सामान्य घटना होती हैं जो कि विशेष रूप से बच्चा पैदा करने के वर्षों के दौरान महिलाओ में पायी जाती हैं| 

इसे अंडाशय की सतह पर विकसित होने वाला एक छोटा सा बुलबुला के रूप में आप समझ सकते है जो की अक्सर कोई ध्यान देने योग्य लक्षण पैदा नहीं करता है | यह तरल पदार्थ गांठ आकर में एक बहुत छोटी होती है और ऐसा कई लोगों में देखा जाता है की ये सिस्ट अपने आप घुल जाते हैं और इलाज की आवश्यकता नहीं होती है| 

लेकिन कुछ ऐसे मामले होते है जिसमे लोगों के लिए वे चिंता का विषय बन सकते हैं| ऐसे में इसके बनने का सही कारण और इलाज जानना जरुरी है जिसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे| लेकिन अगर आपको Ovarian Cyst की वजह से गर्भधारण में समस्या हो रही है तो आप Dr. Rita Bakshi से इसके बारे में सलाह ले सकते है| 

ओवेरियन सिस्ट (Ovarian Cyst) होने के कारण- 

Ovarian Cyst महिलाओं में कई वजहों से होते हैं  और यह ज्यादातर हार्मोनल असंतुलन और अन्य बीमारी की वजह से जुड़े हैं| इनके होने के यह कुछ कारण होते हैं – 

पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम)-

पीसीओएस (PCOS) महिलाओं में पाए जाने वाली समस्या हैं जिसकी वजह से अंडाशय पर कई छोटे सिस्ट बन जाते हैं| पीसीओएस वाली महिलाओं में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ा हुआ होता है और अक्सर अनियमित मासिक धर्म चक्र हो जाता है और इसकी वजह से गर्भ में सिस्ट का विकास हो सकता है|

फॉलिकुलर सिस्ट-

मासिक धर्म चक्र के दौरान जब अंडाशय में फॉलिकल परिपक्व हो जाते हैं ताकि ओव्यूलेशन के लिए तैयार हो सके। इन फॉलिकल्स में अंडे होते हैं और ये प्रजनन के लिए आवश्यक हैं तो कभी-कभी एक फॉलिकल अपना अंडा नहीं छोड़ता है और बढ़ता रहता है जिससे फॉलिक्युलर सिस्ट बन जाता है| इस तरह की गांठो का होना सामान्य हैं और आमतौर पर यह फॉलिक्युलर सिस्ट खतरनाक नहीं  है| 

कॉपर्स ल्यूटियम सिस्ट-

ओव्यूलेशन के बाद जब फॉलिकल जब नष्ट नहीं हो पाता हैं तो कॉपर्स ल्यूटियम सिस्ट में बदल जाता है | यह सिस्ट गर्भावस्था का समर्थन करने के लिए हार्मोन स्राव करता है और अगर गर्भावस्था नहीं होती है, तो कार्पस ल्यूटियम आमतौर पर टूट जाता है और गायब हो जाता है| लेकिनअगर ये टूटने के बजाय तरल से भर जाता है, तो यह कार्पस ल्यूटियम सिस्ट बन जाता है| इस प्रकार का सिस्ट भी आम तौर पर खतरनाक नहीं होता है और अक्सर अपने आप ठीक हो जाता है| 

हार्मोनल असंतुलन-

हार्मोनल असंतुलन की वजह से भी कई तरह की बीमारी हो सकती हैं जैसे की पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस जिसकी वजह गर्भाशय की परत पर और बाहर पर टिश्यू बन जाते है जो की कभी-कभी अंडाशय पर बढ़ते हैं | इससे एंडोमेट्रियोमा का निर्माण हो सकता है जो की पुराने खून से भरे सिस्ट होते हैं| एंडोमेट्रियोसिस हार्मोनल और सूजन में बदलाव का कारण बनता है जो सिस्ट के निर्माण में योगदान देता है| 

ख़राब जीवनशैली

हालांकि ख़राब जीवन कोई सीधा कारण नहीं होता गांठो के बनने का लेकिन तनाव के उच्च स्तर और जीवनशैली के कारक जैसे आहार और शारीरिक गतिविधि हार्मोनल संतुलन हो जाता है जिसकी वजह से अंडाशय के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं| यह ज्यादातर अंडाशय सिस्ट के विकास को प्रभावित कर सकता है और असहज गांठ बन सकती है| 

कुछ अन्य कारण के वजह से जैसे की किसी तरह का इलाज यह दवाएं का उपयोग की वजह से सिस्ट के निर्माण को प्रभावित कर सकती हैं| उदाहरण के तौर पे हार्मोन थेरेपी या गर्भनिरोधक विधियां अंडाशय की गतिविधि को बदल सकती हैं और सिस्ट के विकास में योगदान दे सकती हैं | यह समस्या और ज्यादा खतरनाक हो सकती अगर समय पर पता नहीं लगाया जाये तो आगे हम यह सब भी जानेंगे| 

ओवरियन सिस्ट के लक्षण और संकेत- 

  • पेट या श्रोणि में दर्द- अगर आपको बीच-बीच में श्रोणि दर्द होता है तो अंडाशय सिस्ट का एक सामान्य लक्षण है | यह कम दर्द से लेकर तेज दर्द तक हो सकती है और निचले पेट या श्रोणि में महसूस हो सकती है | यह मासिक धर्म के दौरान या बाद में दर्द अधिक ध्यान देने योग्य हो सकता है, खासकर यदि सिस्ट बड़ा हो या फट जाए| 
  • पेट में सूजन-  पेट में सूजन का आना एक सामान्य बात होती है| इससे पेट भरा हुआ या फूला हुआ महसूस हो सकता है और परिधि में वृद्धि के रूप में दिखाई दे सकता है| सूजन होती है क्योंकि सिस्ट पेट पर दबाव डाल सकता है, जिससे क्षेत्र सूजन या भारी महसूस हो सकता है| 
  • धर्म चक्र में समस्या- Ovarian Cyst भी मासिक धर्म चक्र को प्रभावित हो सकते हैं, जिससे अनियमित अवधि भी आ सकती है| इसमें मासिक धर्म का भारी या हल्का रक्तस्राव या चक्र की लंबाई में परिवर्तन शामिल हो सकता है| पीसीओएस से जुड़े सिस्ट महत्वपूर्ण मासिक धर्म अनियमितता का कारण बन सकते हैं ऐसा महसूस होने का मतलब हो सकता है की आपके ओवरी में सिस्ट बन गए हो| 
  • वजन बढ़ना- मोटापा आना भी एक संकेत हो सकता है|  
  • शरीर में सूजन और फूलना- 

  • खान पान में कमी आना- 

अगर इनमे से कोई लक्षण दिखाए देते है तो इसका मतलब यह हो सकता है की गर्भाशय में गांठ या कोई समस्या है| इस बात की पुष्टि करने के लिए आप Risaa IVF से बात करके Ovarian Cyst के इलाज के बारे में जान सकते है| 

अंडाशय में गांठ के उपचार क्या होते है?  

अगर किसी को यह समस्या से गुजरना पढ़ रहा है तो वह इन कुछ चीजों का उपयोग करके आराम पा सकते है-  

हार्मोनल असंतुलन का इलाज:

ऐसे मामलों में जहां हार्मोनल असंतुलन अंडाशय सिस्ट का कारण बन रहे हैं, इन असंतुलन को संबोधित करने के लिए दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं जिनका काम होता है की एस्ट्रोजन उत्पादन को ख़त्म करना और एंडोमेट्रियोमा के आकार को कम करना| 

सर्जिकल के माध्यम से:

बड़े सिस्ट जो की ज्यादा परेशानी करते है  वे जो अन्य उपचारों से ठीक नहीं होते हैं  ऐसे में सर्जरी आवश्यक हो सकती है | सिस्टेक्टोमी (Cystectomy), ओवेरेक्टोमी और लैपरोस्कोपी नाम की 3 सर्जरी होती है जो की  गांठ के आकर के हीसभ से करि जा सकती है | किसी भी सर्जरी का चयन  करने से पहले आपको अनेक विशेषज्ञ से सलाह ले कर ही आगे बढ़ना चाहिए| 

दर्द से आराम:

अगर Ovarian Cyst असुविधा या श्रोणि दर्द का कारण बनता है, तो इस दर्द से राहत के लिए आप दवाओ का सहारा ले सकती हैं| साथ ही कुछ घरेलु उपाय जैसे की गर्म सिकाई से भी दर्द में आराम मिल जाता हैं| 

निष्कर्ष- 

Ovarian Cyst आम तौर पर एक सामन्य गांठ होती है जो की थोड़े देख भाल से दूर करि जा सकती है साथ ही अगर सही जीवनशैली रखी जाये तो आप इसे क़ाबू में रख सकते हैं| 

एक सक्रिय और सूचित दृष्टिकोण अपनाने से आप इसके होने वालें नुकसान से बचाव कर सकते है। और याद रखें अगर सर्जरी का चयन करना तो उससे पहले पर्याप्त सलाह लेना जरुरी हैं। आप अपने  स्वास्थ्य सलाहकार  के साथ परामर्श  करके इसका जांच करा लेनी चाहिए|