महिला के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है यूट्रस जिसे हम “गर्भाशय या बच्चेदानी” के नाम से भी जानते हैं| कभी-कभी अनेक कारणों से इसी महत्वपूर्ण अंग में गांठ बन जाती है, जिसे फाइब्रॉयड्स (Fibroids) के नाम से भी जाना जाता है|
सामान्यतः यह गांठ मांसपेशियों में पनपती है, जो गैर-कैंसरयुक्त होती है| यह गांठ गर्भाशय की दीवार के अंदर, बाहर या दोनों जगह हो सकती है| अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाये तो यह आगे जा कर गंभीर समस्या बन जाती है| आज हम इसी विषय को गहराई से जानेंगे कि आखिर ये गांठ कैसे और क्यों बनती है|
बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है|
बच्चेदानी में गांठ एक ऐसी समस्या है जिसका सामना अधिकांश महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी तो एक बार तो अवश्य ही करती हैं| इसके होने के निम्नलिखित मुख्य कारण होते हैं-
- हार्मोनल इम्बैलेंस – महिलाओं में पाये जाने वाले हार्मोन्स जैसे की एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजन का असंतुलन, फाइब्रॉइड को बढ़ा सकता है| ज़्यादातर महिलाओं का स्वस्थ्य जीवनशैली का अनुसरण ना करने के कारण हार्मोनल इम्बैलेंस आ जाता है जोकि आगे चल कर गांठ के पनपने का कारण बन जाता है|
- फाइब्रॉयड्स – यह एक तरह की गांठ होती है जो बच्चेदानी की दीवारों पर उत्पन्न होती है| फाइब्रॉयड्स के ज़्यादातर मामलों में अनियमित मासिक धर्म और गर्भाशय के अन्य संबंधित समस्या देखी जाती है। यह समस्या कैंसर जैसी गंभीर नहीं है और इसका इलाज भी आसानी से हो जाता है|
- जेनेटिक या आनुवंशिकी – अगर परिवार के पिछली पीढ़ी में किसी महिला को बच्चेदानी की समस्या हो तो बहुत अधिक सम्भावना है कि ये समस्या परिवार में आगे आने वाली पीढ़ी के महिलाओं में भी उत्पन्न हो
- अधिक वजन – मोटापा भी बच्चेदानी में गांठ होने का एक कारण हो सकता है|
- विटामिन की कमी – शरीर में आवश्यक मिनरल्स या विटामिन डी की कमी के कारण भी गांठ बन जाती है|
बच्चेदानी में गांठ होने से क्या प्रॉब्लम होती है?
गर्भाशय एक संवेदनशील और बहुत महत्वपूर्ण अंग होने के कारण उसमें गांठ का बनना, महिलाओं में अनेक
प्रकार के समस्याओं को उत्पन्न कर देता है जैसे की-
- रक्तस्राव – यह सबसे आम लक्षण है, जिसमें मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होता है| इसके कारण थकान, खून की कमी (अनीमिया) और अन्य पीड़ा हो सकती है।
- पेट में दर्द – गांठ होने के वजह से पेट में हल्का या तेज दर्द और ऐंठन महसूस होता है और जो कि पीठ के निचले हिस्से में भी फैल सकता है।
- गर्भावस्था में जटिलताएं – अगर आपकी बच्चेदानी में गांठ है तो कुछ मामलों में फाइब्रॉयड्स गर्भधारण, गर्भावस्था और डिलीवरी के समय जटिलता उत्पन्न कर सकती है।
- अधिक पेशाब का आना – अगर फाइब्रॉयड्स मूत्राशय पर दबाव डालते हैं, तो बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है।
यदि बच्चेदानी में गांठ हो जाए तो यह वह समस्याएं हैं जो कि एक महिला को झेलनी पड़ सकती है| इसके अलावा और भी छोटी-बड़ी दिक्कतें होती हैं जो आपके शारीरिक संरचना अथवा किसी और रोग होने के स्तिथि में आपको जिसका सामना करना पड़ सकता है|
गांठ के लक्षण-
- अनियमित मासिक धर्म
- बहुत अधिक रक्तस्राव के साथ मासिक धर्म
- गर्भाशय के आसपास जलन या चुभन
- पेट का फूलना या भारीपन
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- एनीमिया
- कब्ज
- शरीर में अथवा पैरों में दर्द
यदि आपको इनमें से एक या एक से अधिक लक्षण दिखाई दे रहे हों तो इसका मतलब आपको किसी तरह की गांठ आपके यूट्रस में हो सकती है| अगर आपकी समस्या अपने शुरुआती दौर में है तो आप कुछ घरेलू उपचार का भी उपयोग कर सकती हैं|
बच्चेदानी में गांठ का घरेलू उपचार-
अगर आपको भी अपने अंदर इन गांठों के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो आप नीचे बताये गए घरेलु उपचारों का सहारा ले कर अपने दर्द में कमी ला सकती हैं|
खानपान पर ध्यान
- बदलाव – अगर आप इस समस्या का उपचार घर पर ही करना चाहती हैं तो सबसे पहले आपको अपने रोज के आहार मे बदलाव करने होंगे| आपको ज्यादा से ज्यादा मात्रा में फल, हरी सब्जी और मिनिरल्स युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन बढ़ाना पड़ेगा|
- परहेज – आपको तले एवं भुने हुए खाद्य पदार्थों/ व्यंजनों का सेवन रोकना होगा तथा अपनी रेगुलर डाइट में मिर्च मसालों का कम से कम सेवन करना होगा|
हर्बल उपचार
- हल्दी – हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह फाइब्रॉएड के आकार को कम करने में मदद कर सकता है।
- अदरक और शहद अदरक में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गांठ के दर्द को कम करने मे मदद करता है। ताजा अदरक के रस एवं शहद को मिलाकर सेवन करने से इस रोग में लाभ मिलता है।
- गर्म सेंक – अगर आपको ज्यादा दर्द होता है तो आप आप किसी कपड़े को तवे पर गर्म कर अथवा बाजार में उपलब्ध हॉट बैग्स के मदद से अच्छे से सेकाई कर सकते हैं|
व्यायाम और योग
- व्यायाम करने से आपके शरीर में रक्त संचालन अच्छे से होगा जिससे आपको दर्द में राहत मिल सकती है|
- कुछ योगासन जैसे की पवनमुक्तासन, भुजंगासन, और मलासन आपके दर्द को कम करने मे मदद करते हैं|
सही खानपान और दिनचर्या से आप ऐसी किसी बीमारी को न केवल काबू कर पाएंगे बल्कि आप ऐसी बीमारियों से बच के भी रहेंगे| एक महिला को निश्चित ही इन सारी बातों को जरूर अपना लेना चाहिए|
सर्जरी से इलाज-
अगर लक्षण गंभीर हो या गांठ घरेलु उपचार से या दवाई से काबू मे ना आये तो इस इलाज के लिए सर्जरी का उपयोग किया जाता है| सर्जरी का इस्तेमाल तब ही किया जाता है जबकि बच्चेदानी की गांठ कैंसर सेल्स से युक्त हो| यह सर्जरी केवल अनुभवी सर्जन डॉक्टर के द्वारा ही की जाती है|
इस सर्जरी में महिला के पेट को काट कर वहां मौजूद किसी भी तरह की गांठ अथवा गाठों को निकाल लिया जाता है| हालांकि बहुत से स्थिति में बिना सर्जरी के उपयोग से ही इस परेशानी पर काबू कर लिया जाता है|
संक्षिप्त में
एक सर्वे में पाया गया है की 30 की उम्र के बाद 50% महिलाओं में किसी तरह की गांठ की समस्या पायी जाती है और इसका सही समय पर पता करके एवं उचित देखभाल करने से उसको दूर भी किया जा सकता है|
हालांकि घरेलू नुस्खे कारगर होते हैं लेकिन अगर आपकी समस्या दूर नहीं हो पा रही है, तो हमारे गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर (Best Gynaecologist) डॉ. रीता बक्शी से संपर्क करें|