संतान प्राप्ति कई लोगों के लिए सामान्य प्रक्रिया होती है लेकिन बहुत लोगों के लिए यह पल मुश्किल भरा हो सकता है | यह महीनो तक चलने वाली प्रक्रिया होती है जिसके दौरान कई अनेक चरण और प्रक्रियाएं होती है जिसके सफल होने के बाद जा कर संतान प्राप्त होती है|
गर्भधारण के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते है और ऐसा ही एक बदलाव जो कि गर्भधारण के शुरुआती समय पर आता है उसको ब्लास्टोसिस्ट कहते है| अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि आखिर ये ब्लास्टोसिस्ट क्या है और क्यों होता है| आज हम उन्हीं सारे सवालो के जवाब को समझेंगें ताकि किसी तरह की शंका न हो|
ब्लास्टोसिस्ट क्या है?
ब्लास्टोसिस्ट निषेचित अंडे या भ्रूण के विकास की एक बहुत ही शुरुआती अवस्था है| यह शुक्राणु द्वारा निषेचन के लगभग 5-7 दिनों बाद बनता है | ब्लास्टोसिस्ट कोशिकाओं की एक छोटी सी गेंद होती है जो अलग अलग होती और बढ़ने लगती है|
यह महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि इस चरण के दौरान भ्रूण गर्भाशय (कोख) की परत में प्रत्यारोपित होने के लिए तैयार होता है और आगे बढ़ना और विकसित करना जारी रखता है| यह मानव प्रजनन की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है और इस चरण के बाद ही महिला को गर्भवती कहा जा सकता है, हालांकि कुछ मामलों में यह चरण इतना सामान्य नहीं होता और आगे हम इससे ही जुड़ी हुई जटिलता को भी समझेंगे|
ब्लास्टोसिस्ट की प्रक्रिया:
यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है-
- निषेचन – इस प्रक्रिया की शुरुआत जब शुक्राणु अंडे से मिलते है उसके बाद तुरंत शुरू हो जाती है| निषेचित अंडे अगर न हो तो निषेचन की प्रक्रिया दोबारा से करनी पड़ती है|
- विभाजन – निषेचित अंडे तेजी से अलग होना शुरू कर देते है, इस प्रक्रिया के माध्यम से कोशिकाओं का एक समूह बनता है जिसे मोरुला कहा जाता है|
- ब्लास्टोसिस्ट का निर्माण: जब निषेचित अंडे का विभाजन (अलग होने और साथ में बढ़ना) जारी रहता है, तो निषेचन के लगभग 5-7 दिनों बाद यह एक ब्लास्टोसिस्ट में बदल जाता है|
- रोपण – ब्लास्टोसिस्ट फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में जाता है। यह गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) से जुड़ जाता है और निषेचन के लगभग 6-7 दिनों बाद पनपना शुरू कर देता है | यह प्रक्रिया ब्लास्टोसिस्ट को माँ से पोषक तत्व प्राप्त करने और विकसित करने की अनुमति देती है।
- आगे का विकास – रोपण के बाद, ब्लास्टोसिस्ट का विकास जारी रहता है। आंतरिक कोशिका द्रव्यमान की कोशिकाओं से अलग होती हैं और तीन जनन परतों (एक्टोडर्म, मेसोडर्म और एंडोडर्म) में व्यवस्थित होती हैं, जो की आखिर में भ्रूण के सभी ऊतकों और अंगों को जन्म देते हैं|
- ब्लास्टोसिस्ट का बनना और इसका विकास सही तरह से होना गर्भधारण के लिए बहुत जरुरी है|
- अगर पहले प्रयास में शुक्राणु अंडे का निषेचन नहीं कर पाते तो ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) भी नहीं बन पाता | ऐसी स्थिति में दोबारा प्रयास किया जाता है |
सफल प्रत्यारोपण के क्या लक्षण होते है?
प्रत्यारोपण इस प्रक्रिया का वह हिस्सा होता है जब निषेचन की सहायता से ब्लास्टोसिस्ट का निर्माण हो जाता है जिसमे करीब 6 से 7 दिन का समय लगता है इसके बाद ब्लास्टोसिस्ट का प्रत्यारोपण गर्भाशय में किया जाता है, और सफल प्रत्यारोपण के लक्षण कुछ इस प्रकार होते है |
- प्रत्यारोपण ब्लीडिंग: कुछ महिलाओं को गर्भाधान के लगभग 10-14 दिन बाद हल्का धब्बा या थोड़ा खून आ सकता है। इसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं और यह सफल गर्भधारण का संकेत हो सकता है| हालांकि अधिक खून का आना परेशानी का कारण हो सकता है| ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए|
- शरीर का तापमान: अगर ब्लास्टोसिस्ट सफलता से गर्भ में धारण हो गया है तो कुछ समय के लिए महिला का शरीर का तापमान कम ज्यादा रह सकता है| अगर महिला को हल्का बुखार हो रहा है तो यह प्रक्रिया की सफलता का लक्षण है|
- गर्भावस्था के लक्षण: अगर गर्भधारण में दिखने वाले लक्षण जैसे की प्रारंभिक गर्भावस्था के लक्षण जैसे- कोमलता, थकान, मतली और बार-बार पेशाब आना शामिल हो सकते हैं| हालांकि ये लक्षण अन्य कारणों के कारण भी हो सकते हैं|
ब्लास्टोसिस्ट में आने वाली समस्या क्या होती है?
जैसा की ऊपर हमने समझा की यह भ्रूण के बनने की प्रक्रिया होती है जो कि बेहद ही अहम होती है गर्भधारण करने के लिए लेकिन कई महिलाओं के गर्भाशय में यह प्रक्रिया नहीं हो पाती|
यह प्रक्रिया न होने के कई कारण हो सकते है जैसे की कोई बीमारी, उम्र, बांझपन से जुड़ी कोई दिक्कत या कोई अनजान समस्या| चाहे किसी भी वजह से हो लेकिन कई लाखो ऐसी महिलाऐं है जिनमे भ्रूण ठहरने की प्रक्रिया नहीं हो सकती| हालांकि इसका एक उपाय मौजूद है| अगर यह महिला के गर्भाशय में नहीं हो सकती तो इसको बाहर प्राप्त करके गर्भाशय में डाल दिया जाता है|
ब्लास्टोसिस्ट का उपयोग (आईवीएफ)
ब्लास्टोसिस्ट शुरुआती भ्रूण विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सफल गर्भावस्था के लिए आवश्यक है |
इसके इस्तेमाल के यह कुछ फायदे होते है-
- भ्रूण का विकास: ब्लास्टोसिस्ट का उपयोग भ्रूण के बनने में किया जाता है जो की आईवीएफ में बहुत जरूरी होता है| इसके माध्यम से कई अनेक परिवार जो की सामान्य तौर पर संतान प्राप्त नहीं कर सकते वह संतान सुख भोग पाते हैं|
- गर्भधारण का समय: ब्लास्टोसिस्ट गर्भधारण का समय निर्धारण भी कर सकता है| यह आमतौर पर निषेचन के लगभग 6-10 दिनों बाद गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है, और इसके सफल प्रत्यारोपण को अक्सर अलग शारीरिक और जैव रासायनिक परिवर्तनों द्वारा देखा जाता है जो गर्भावस्था की स्थापना की पुष्टि करते हैं।
- संरक्षण और समर्थन: जैसे-जैसे ब्लास्टोसिस्ट विकसित होता है और प्रत्यारोपित होता है, इसकी वातावरण में सुरक्षा और पोषण संबंधी समर्थन छमता बढ़ जाती है| एंडोमेट्रियल लाइनिंग पोषक तत्वों और विकास कारकों से भरपूर एक पोषणकारी वातावरण प्रदान करती है जो ब्लास्टोसिस्ट के प्रारंभिक विकास के लिए आवश्यक हैं|
- ब्लास्टोसिस्ट न केवल इम्प्लांटेशन और गर्भावस्था (Pregnancy) की स्थापना के लिए जरूरी है, बल्कि यह भ्रूण के बनने और उसके विकास में भी कार्य करता है|