आज मेडिकल की दुनिया में कई नये आविष्कार हो रहे है जिससे कई ऐसी समस्या या बीमारिया है जिनका हल निकल रहा है| आधुनिक चिकित्सा की दुनिया में जहां वैज्ञानिक प्रगति लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है, वहां “टेस्ट ट्यूब बेबी” से कई लोगों को लाभ पहुंच रहा है|
इसके माध्यम से उन जोड़ो जिनको सामान्य तौर से बच्चा नहीं हो पता है वह इसका उपचार ले कर संतान की प्राप्ति कर सकते है| टेस्ट ट्यूब बेबी आधिकारिक तौर पर इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) के नाम से जानी जाने वाली इस क्रांतिकारी प्रक्रिया ने प्रजनन चुनौतियों से निपटने के तरीके में क्रांति ला दी है और दुनिया भर में लाखों लोगो को गर्भधारणा में मदद की है| इसलिए आज हम लोग इस महत्वपूर्ण इलाज को करीब से समझेंगे की यह कैसे काम करती है?
टेस्ट ट्यूब बेबी क्या होता है?
बेबी जिसको हिंदी में बच्चा कहा जाता है और इस प्रक्रिया के दौरान भ्रूण को इंसानी शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में बनाया जाता है, इस प्रक्रिया के दौरान टेस्ट ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसको टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby) कहा जाता है|
टेस्ट ट्यूब बेबी जिसको सहायक प्रजनन तकनीक जैसे की आईवीएफ(इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन), आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लास्मिक शुक्राणु इंजेक्शन) के माध्यम से पाया जाता है | हालांकि टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए कौन सी तकनीक का उपयोग किया जाएगा| यह इसको लेने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य की जरूरत के ऊपर निर्भर करती है| आगे हम टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया को विस्तार में समझेंगें|
टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया –
इस प्रक्रिया में अगर डोनर की जरूरत नहीं है तो आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो की अधिकांश मामलों में यह तकनीक का इस्तेमाल होता है –
जांच –
किसी भी अन्य चिकित्सक प्रक्रिया की तरह इस प्रक्रिया की भी शुरुआत जांच से होती है जिसमे एक विशेष्यग प्रजनन की कमियों को समझता है और इस तरह से आगे की प्रकिया को निर्धारित करता है| इसके दौरान डॉक्टर कई तरह के हार्मोनल जांच करता है और किसी तरह की समस्या हो तो वह कुछ समय के लिए आपको दवाए लेने के लिए कह सकता है ताकि शुक्राणु या अंडे की सही गुणवत्ता हो जाये|
शुक्राणु और अंडे –
एक बार जब सही गुणवत्ता प्राप्त हो जाये तो प्रक्रिया के करीब एक दिन पहले डॉक्टर शुक्राणु और अंडे को ले लेता है और उनको सुरक्षित तरह से रख लेता है, आगे की प्रक्रिया के लिए|
भ्रूण का बनना –
एक बार जब शुक्राणु और अंडे लेबोरेटरी में पहुंच जाता है, तो डॉक्टर उसे माइक्रोस्कोप के माध्यम से इंसानी शरीर के बाहर प्रजनन करता है| इस प्रक्रिया के बाद भ्रूण बनना शुरू हो जाता है जो की एक टेस्ट ट्यूब में रखा जाता है|
भ्रूण का डालना –
करीब 3 से 5 दिन बाद जब भ्रूण सही तरह से पनपने लगता है तो उसको वापस से महिला के गर्भाशय में दाल लिया जाता है | डॉक्टर एक सही भ्रूण को चुन कर एक छोटी से सुई के माध्यम से महिला के गर्भाशय में छोड़ दिया जाता है | यह पूरी प्रकिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि ज्यादातर असफलता इसके बाद ही आती है|
प्रेगनेंसी-
भ्रूण ट्रांसफर के बाद कम से कम हफ्ता 10 दिन का इंतज़ार करना पड़ता है| इसके बाद एक प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता जिसमे इस प्रक्रिया की सफलता का पता लग जाता है|
यह प्रक्रिया बहुत ही लाभदायक हो सकती है अगर इसका सही ढंग से उपयोग किया जाये तो यह पूरे परिवार में खुशियाँ लाने में मदद कर सकती है| इस प्रक्रिया को ज्यादातर सुरक्षित माना जाता है जिसमे कोई खतरनाक दुष्प्रभाव नहीं होते | एक सवाल जो की हर एक के मन में रहता है की इस प्रक्रिया की सफलता दर क्या है तो आगे हम इसी के बारे में चर्चा करेंगे|
टेस्ट ट्यूब बेबी की सफलता दर क्या होता है?
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की सफलता दर, जिसे अक्सर “टेस्ट ट्यूब बेबी” प्रक्रिया कहा जाता है, यह कई कारणों पर निर्भर करती है जिसमें महिला की उम्र, बांझपन (Infertility) का कारण, शुक्राणु और अंडों की गुणवत्ता और क्लिनिक की विशेषज्ञता शामिल हैं।
- अगर महिला की उम्र 32 साल से ज्यादा है या उसे किसी अन्य तरह की बीमारी है जैसे कि डायबिटीज (मधुमेह), कैंसर, या किसी अन्य तरह की हार्मोनल समस्या है तो इस मामले में भ्रूण को शरीर में ठहरने में समस्या अधिक आ सकती है |
- हो सकता है कि पुरुष के शुक्राणु या महिला के अंडे में किसी एक या दोनों में प्रजनन करने की छमता न हो तो इस वजह से भी भ्रूण सही तरह से नहीं बन पाता और प्रक्रिया असफल हो जाती है |
सफलता दर-
कई आंकड़ों के अनुसार, 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए प्रति आईवीएफ चक्र औसत सफलता दर 40% से 50% तक हो सकती है। उम्र के साथ सफलता दर में धीरे-धीरे कमी आती है, जिसमें 35-37 आयु वर्ग की महिलाओं की प्रति चक्र लगभग 30-40% सफलता दर होती है, और 40 से अधिक उम्र की महिलाओं की सफलता दर कम होती है, जो अक्सर प्रति चक्र 10-15% से कम होती है|
क्लीनिक की सफलता-
क्लीनिक की सफलता दरें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए इस प्रक्रिया के लिए एक प्रतिष्ठित क्लिनिक पर शोध करना और उसका चयन करना आवश्यक है जिसका सफल परिणामों का ट्रैक रिकॉर्ड हो। चिकित्सा टीम की विशेषज्ञता, प्रयोगशाला की स्थिति और उन्नत तकनीकों के उपयोग जैसे कारक सफलता दरों को प्रभावित कर सकते हैं|
कई क्लीनिक साफ़ सफाई पर भी ध्यान नहीं देते तो इसकी वजह से प्रकिया के दौरान संक्रमण का भी खतरा रहता है इसलिए अगर आप टेस्ट ट्यूब बेबी के माध्यम से बच्चा प्राप्त करना चाहते है तो एक सही क्लिनिक का चयन करना बहुत जरुरी है|
निष्कर्ष
टेस्ट ट्यूब बेबी एक सामान्य बच्चे के तरह ही होता है बस कुछ हिस्सा प्रयोगशाला में बनाया जाता है| अगर आपको किसी भी तरह की प्रजनन की समस्या है तो आपको समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और अपने स्वास्थ्य सलाहकार से विचार विमर्श ले लेना चाहिये|
आपको अपने साथी के साथ सभी बातें समझ कर और एक साथ मिलकर इस प्रक्रिया का उपयोग करके बच्चा प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए|