Papaya For Periods
Papaya For Periods: कैसे, कब और कितना खाना सही है?

Papaya For Periods एक ऐसा विषय है जो आजकल बहुत चर्चा में है। महिलाओं को अक्सर मासिक धर्म से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे दर्द, अनियमित चक्र और हार्मोनल बदलाव। इन सब के बीच, प्राकृतिक उपायों की तलाश करना एक आम बात है, और पपीता (Papaya) को भी इसी श्रेणी में देखा जाता है। लेकिन क्या वाकई में पपीता मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में मदद करता है? इस सवाल का सही जवाब जानना बहुत ज़रूरी है।

 

RISAA IVF और Dr. Rita Bakshi ( Senior Obs & Gynae) महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रजनन से जुड़ी हर समस्या में आपकी मदद करते आए हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि पपीता कैसे काम करता है, इससे जुड़े मिथक और सच्चाई क्या हैं, और आपको इसे लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए शुरुआत करें इस रोचक और जानकारीपूर्ण सफर की!

पपीता खाने के फायदे (Papaya Benefits)

पपीता खाने के बेहद फायदे होते हैं। यह एक ऐसा फल है जो न केवल शरीर को अंदर से साफ रखता है, बल्कि त्वचा, पाचन और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। चलिए जानते हैं पपीता खाने के कुछ मुख्य फायदे:

 

  • पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है
  • त्वचा को ग्लोइंग और हेल्दी बनाता है
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • आंखों की रोशनी तेज करता है
  • वजन घटाने में मदद करता है
  • हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाता है
  • शरीर में सूजन कम करता है
  • मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक

महिलाओं के लिए पपीते के क्या फायदे हैं?

पपीता खाने के फायदे महिलाओं के लिए खास तौर पर बहुत महत्वपूर्ण हैं। पपीता हार्मोन बैलेंस करने में मदद करता है और कई ऐसी समस्याओं को दूर कर सकता है जो महिलाओं को अक्सर परेशान करती हैं। सही मात्रा में पपीता खाने से शरीर को अंदर से मजबूत बनाया जा सकता है। आइए जानें इसके खास फायदे:

 

  • मासिक धर्म को नियमित करने में मददगार
  • प्रेग्नेंसी के बाद रिकवरी में सहायक
  • हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है
  • पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिससे त्वचा भी निखरती है
  • आयरन अवशोषण में मदद कर एनीमिया से बचाव
  • मेटाबॉलिज्म तेज कर वजन नियंत्रित रखने में मददगार
  • एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण एजिंग की प्रक्रिया धीमी होती है

पपीता खाने से पीरियड जल्दी आता है क्या? Papita Khane se Period Jaldi Aata hai kya?

Papita khane se period aata hai? यह एक बहुत आम सवाल है। पपीते में पेपेन नामक एंजाइम और कुछ नैचुरल हीटिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो यूटरस (गर्भाशय) को सक्रिय कर सकती हैं। माना जाता है कि पपीता ब्लड फ्लो बढ़ाने में मदद करता है, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। खासकर कच्चा पपीता हार्मोन को एक्टिवेट करने में थोड़ा असर दिखा सकता है।

 

हालांकि, हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए पपीता सभी के लिए एक जैसा असर नहीं करता। अगर पीरियड्स लगातार लेट हो रहे हों तो सिर्फ Papaya for periods पर निर्भर रहना सही नहीं है। डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

पीरियड्स के लिए पपीता खाने के फायदे (Benefits Of Papaya For Periods)

पीरियड्स के लिए पपीता खाने के फायदे अक्सर प्राकृतिक इलाज के तौर पर बताए जाते हैं। पपीता ऐसे पोषक तत्व और एंजाइम से भरपूर होता है जो हार्मोन बैलेंस करने और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इससे पीरियड्स से जुड़ी कई सामान्य समस्याओं में राहत मिल सकती है। आइए जानते हैं इसके खास फायदे:

 

  • अनियमित पीरियड्स को नियमित करने में मदद करता है
  • नैचुरल तरीके से गर्भाशय की हल्की सिकुड़न को बढ़ाता है
  • मासिक धर्म के दर्द (cramps) को कम करता है
  • हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मददगार
  • शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है
  • पीरियड्स के दौरान सूजन (bloating) को कम करता है
  • थकान को दूर कर एनर्जी लेवल बढ़ाता है
  • विटामिन A, C और E जैसे ज़रूरी पोषक तत्व प्रदान करता है

पीरियड्स के लिए पका या कच्चा पपीता – क्या बेहतर है? Ripe Or Unripe Papaya For Periods?

पीरियड्स में पपीता किस रूप में ज़्यादा फायदेमंद है, कच्चा या पका? आइए, इसे थोड़ा और करीब से समझते हैं। दोनों के अपने फायदे हैं, लेकिन पीरियड्स को नियमित करने और हार्मोनल संतुलन बनाने के लिए कच्चा पपीता ज़्यादा असरदार माना जाता है। वहीं, पका पपीता शरीर को ऊर्जा और पोषण देता है। आगे इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि आपके लिए कौन-सा बेहतर है।

पीरियड्स के लिए कच्चा पपीता (Raw Papaya for Periods)

कच्चा पपीता मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें पपाइन नामक एक एंजाइम पाया जाता है, जो गर्भाशय की गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे पीरियड्स के दौरान सिकुड़न (contractions) अधिक हो सकती है। यह प्रक्रिया पीरियड्स को जल्दी लाने में मदद करती है और मासिक धर्म के दर्द को कम करने में सहायक होती है। इसके अलावा, कच्चा पपीता शरीर के अंदर रक्त के प्रवाह को सामान्य कर सकता है, जिससे पीरियड्स का चक्र नियमित हो सकता है। हालांकि, इसे हमेशा सीमित मात्रा में ही सेवन करें।

पीरियड्स के लिए कच्चा पपीता कैसे खाएं (How to Eat Unripe Papaya for Periods)

कच्चा पपीता खाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है इसे ताजे रूप में खाना। इसे सलाद, जूस या बिना पकाए खा सकते हैं। आप कच्चे पपीते का जूस भी बना सकते हैं, जो शरीर में पपाइन के सभी फायदे प्रदान करेगा। कच्चा पपीता शरीर को अंदर से साफ करता है, और इसके पाचन संबंधी गुण पीरियड्स के दौरान पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं। इसे नियमित रूप से खाना पीरियड्स को संतुलित रखने में सहायक हो सकता है।

पीरियड्स के लिए कच्चे पपीते की कितनी मात्रा खानी चाहिए (How Much Unripe Papaya for Periods)

कच्चे पपीते की सही मात्रा व्यक्ति के स्वास्थ्य और आवश्यकता पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर, प्रतिदिन आधे कप से एक कप कच्चा पपीता खा सकते हैं। हालांकि, यदि आप इसे पहली बार खा रहे हैं, तो थोड़ी मात्रा से शुरू करें ताकि किसी प्रकार की असहजता महसूस न हो। यदि पीरियड्स से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर पपीते का सेवन करना हमेशा बेहतर होता है।

पीरियड्स के लिए पका पपीता (Ripe Papaya for Periods)

पका पपीता भी सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं पर उतना असर नहीं डालता। पका पपीता विटामिन A, C और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो त्वचा और पाचन तंत्र के लिए अच्छा है। पपीते में हल्का मूत्रवर्धक (diuretic) गुण भी होता है, जो शरीर से अतिरिक्त पानी निकालने में मदद करता है। लेकिन मासिक धर्म के दर्द या असामान्य चक्र में सुधार के लिए पका पपीता कच्चे पपीते की तुलना में कम प्रभावी होता है।

पका हुआ पपीता पीरियड्स के लिए कैसे खाएं? (How to eat ripe papaya for periods)

पके हुए पपीते को आप सीधे ऐसे ही खा सकती हैं या स्मूदी, सलाद या जूस बनाकर ले सकती हैं। दिन में 1 से 2 बार पपीता खाने से शरीर को प्राकृतिक रूप से गर्मी मिलती है, जिससे पीरियड्स जल्दी और नियमित आ सकते हैं।

पका हुआ पपीता पीरियड्स के लिए कितना खाना चाहिए? (How much to eat ripe papaya for periods)

दिन में लगभग 150 से 200 ग्राम पका पपीता खाना पर्याप्त होता है। इससे शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं और हार्मोन भी संतुलित रहते हैं। लेकिन बहुत ज़्यादा खाने से बचें, क्योंकि इससे पेट में गर्मी या जलन हो सकती है।

पपीता खाने से प्रेग्नेंसी रुक जाती है? (Papita khane se pregnancy ruk jati hai)

अगर प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में ज्यादा मात्रा में कच्चा पपीता खाया जाए तो यह प्रेग्नेंसी को नुकसान पहुँचा सकता है। खासतौर पर अधपका या कच्चा पपीता गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है। इसलिए डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि गर्भवती महिलाएं खासतौर पर पहले तीन महीनों में पपीता खाने से बचें या डॉक्टर से पूछकर ही सेवन करें।

पीरियड्स में पपीता खाने से जुड़ी गलतफहमियाँ बनाम सच्चाई (Myths vs Facts about Eating Papaya During Periods)

गलतफहमी:

 

बहुत से लोग मानते हैं कि पीरियड्स में पपीता खाना नुकसानदायक होता है और इससे ज्यादा ब्लीडिंग होती है। कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि पपीता खाने से शरीर में असंतुलन आ सकता है।

 

सच्चाई:

 

असल में पपीता एक नेचुरल हीटिंग फूड है जो गर्भाशय को उत्तेजित करके पीरियड्स को रेगुलर करने में मदद करता है। पपीते में मौजूद एंजाइम्स ब्लड फ्लो को सुधारते हैं और पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द (cramps) को कम कर सकते हैं। संतुलित मात्रा में पका पपीता खाने से कोई नुकसान नहीं होता बल्कि शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं।

Final Words

इस ब्लॉग में हमने papaya for periods के फायदों पर चर्चा की है। हमने बताया है कि कैसे कच्चा और पका पपीता मासिक धर्म के दौरान शरीर के लिए लाभकारी हो सकता है, साथ ही इसके सेवन से जुड़ी कुछ गलतफहमियाँ और उनकी सच्चाई भी स्पष्ट की है। पपीता शरीर के भीतर रक्त प्रवाह को सुधारने, पीरियड्स के दर्द को कम करने, और मासिक धर्म को नियमित करने में मदद कर सकता है। यदि आप पपीता से जुड़ी किसी और जानकारी की तलाश में हैं, तो इस ब्लॉग में दी गई सलाह आपकी मदद कर सकती है।

 

अगर आप पीरियड्स, प्रेग्नेंसी या किसी भी महिला स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं, तो RISAA IVF और Dr. Rita Bakshi (Senior Obs & Gynae और IVF Specialist) आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार हैं। 35 वर्षों से अधिक के अनुभव और गहन विशेषज्ञता के साथ, वे आपको सही सलाह और उपचार प्रदान कर सकती हैं। किसी भी सवाल या परेशानी के लिए बेझिझक RISAA IVF से संपर्क करें, जहां आपको भरोसेमंद मार्गदर्शन और संपूर्ण देखभाल मिलेगी।

Frequently Asked Questions (FAQs)

  • पपीता महिला शरीर को क्या करता है?

पपीता विटामिन, खनिज और एंजाइम्स से भरपूर होता है, जो महिला स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। यह पाचन तंत्र को सुधारता है, सूजन को कम करता है, और त्वचा की सेहत में सुधार करता है।


  • पीरियड लाने के लिए पपीता कैसे खाएं?

पीरियड्स को नियमित करने के लिए कच्चा पपीता फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद कैरोटीन एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। कच्चा पपीता दिन में दो बार सेवन किया जा सकता है।


  • Pineapple or papaya for periods?

पाइनएप्पल में ब्रोमेलैन एंजाइम होता है, जो एस्ट्रोजन और अन्य हार्मोन को प्रभावित करता है, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। इसलिए, पीरियड्स जल्दी लाने के लिए पाइनएप्पल का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है।


  • पपीता खाने के बाद भी पीरियड ना आए तो क्या करें?

यदि पपीता खाने के बाद भी पीरियड्स नहीं आए, तो घरेलू उपायों के साथ अजवायन, अदरक, सौंफ, मेथी दाना जैसे पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, जो पीरियड्स लाने में सहायक होते हैं। हालांकि, यदि समस्या बनी रहे, तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।


  • रुका हुआ पीरियड लाने के लिए क्या करें?

रुके हुए पीरियड्स के लिए घरेलू उपाय जैसे अजवायन, अदरक, सौंफ, मेथी दाना का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव कम करने के उपाय भी प्रभावी हो सकते हैं। यदि समस्या बनी रहे, तो डॉक्टर से परामर्श करें।


  • क्या खाने से पीरियड्स जल्दी आते हैं?

पीरियड्स जल्दी लाने के लिए कच्चा पपीता, पाइनएप्पल, अजवायन, अदरक, सौंफ, मेथी दाना, धनिया के बीज, तिल के बीज, विटामिन सी युक्त आहार जैसे खट्टे फल, जामुन, ब्रोकोली, पालक, टमाटर आदि का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, इन उपायों को अपनाने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना उचित है।



पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद)
पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद

गर्भधारण प्राप्त करने का सफर कई माता-पिता के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है| भ्रूण स्थानांतरण भी एक उम्मीद और चिंता दोनों की स्थिति हो सकती है| सफल भ्रूण स्थानांतरण के बाद माता-पिता अपने बच्चे के आने का इंतजार करने लगते हैं। हालांकि, पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद होना एक सामान्य समस्या हो सकती है, जिसे लेकर माता-पिता को चिंता हो सकती है| 

साथ ही में ये समय चिंता का भी होता हैं की अगर कुछ समस्या हुई तो भ्रूण ख़राब हो कर बाहर निकल सकता हैं, ऐसा कई वजह से हो सकता है इसलिए सही जानकारी होना बहुत जरुरी होता हैं| भ्रूण स्थानांतरण प्रक्रिया के बाद, कई महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि यह परेशान कर सकता है, लेकिन इसके संभावित कारणों को समझना जरूरी है जिसके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे की क्या ये दर्द के कई और नुकसान हैं|  

भ्रूण स्थानांतरण क्या होता है?

भ्रूण स्थानांतरण आईवीएफ प्रक्रिया में आने वाला एक महत्वपूर्ण चरण हैं| भ्रूण स्थानांतरण  प्रक्रिया में एक या अधिक भ्रूण को गर्भाशय में रखा जाता है| पूरी आईवीएफ प्रक्रिया का ये ससब जटिल हिस्सा होता है जो की एक विशेषज्ञ ही करता है और इसके दौरान वह टेस्ट ट्यूब में से सबसे अच्छा भ्रूण का चयन करता हैं और बारीकी से महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है|

इसका लक्ष्य होता हैं की गर्भाधान को बढ़ावा देना और सफल गर्भावस्था प्राप्त करना| यह प्रक्रिया आम तौर पर एक पतली नली के माध्यम से भ्रूण को गर्भाशय में रख दिया जाता है| आम तौर पर पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद हो सकता जिससे कई तरह के संदेह हो सकते तो इसलिए आगे हम जानेंगे कि उस दर्द के क्या मतलब होता है| 

पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद होने क्या कारण होता है? 

इन कुछ मुख्य कारणों की वजह से भ्रूण स्थानांतरण के बाद पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है- 

  • इम्प्लांटेशन: 

इम्प्लांटेशन शुरुआती गर्भावस्था की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें निषेचित भ्रूण गर्भाशय की दीवार पर अपने आप को अस्थापित कर देता है | निषेचन के लगभग 6-10 दिनों बाद होने वाली इस प्रक्रिया में भ्रूण गर्भाशय की दीवार में धँस जाता है और महिला के शरीर से जुड़ जाता है, जो की भ्रूण के पोषण लिए जरूरी है| 

भ्रूण के विकास और गर्भावस्था जारी रहने के लिए सफल इम्प्लांटेशन बहुत जरूरी है अगर यह असफल होता है, तो भ्रूण बाहर निकल जाएगा और मासिक धर्म शुरू हो जाएगा | इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया के समय ही कुछ ऐसे  लक्षण जैसे की में हल्का ऐंठन और हल्का रक्तस्राव शामिल हो सकता है और पेट के निचले हिस्से में दर्द भी इसकी वजह से हो सकता है ऐसे में यह दर्द किसी बुरी खबर का संकेत नहीं है| 

  • हार्मोनल बदलाव: 

आईवीएफ प्रक्रिया में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं क्योंकि महिला का शरीर अंडाशय को उत्तेजित करने और गर्भाशय की परत को सहारा देने वाली दवाओं के साथ तालमेल बिठाता है| इन हार्मोनल उतार-चढ़ाव से कई लक्षण हो सकते हैं में से एक पेट में असहजता और दर्द भी शामिल है और यह बिल्कुल आम लक्षण होता हैं| 

  • ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस):

कभी-कभी अंडाशय को उत्तेजित करने वाली दवाओं के कारण ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस) हो सकता है| और यह ओएचएसएस की वजह से पेट में दर्द, सूजन और असहजता हो सकती है, हालांकि यह कम ही होता है | इस ओएचएसएस की समस्या के लिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह या इलाज ले लेना चाहिए| 

  • प्रक्रिया के बाद सामान्य दर्द:

प्रक्रिया के बाद सामान्य असहजता या पेट में दर्द हो सकता है| भ्रूण स्थानांतरण के बाद कुछ ऐंठन या असहजता महसूस होना आम बात है और यह दर्द अक्सर मासिक धर्म की ऐंठन जैसा होता है| यह दर्द गर्भाशय में छेड़छाड़ या गर्भाशय ग्रीवा से कैथेटर गुजरने के कारण भी हो सकता है| 

  • गर्भाशय संकुचन:

भ्रूण स्थानांतरण के बाद महिला के गर्भाशय उपस्थिति के साथ संयोजन करते हुए सिकुड़ सकता है| इससे हल्का से मध्यम दर्द हो सकता है, जो आमतौर पर अस्थायी होता है। ज्यादातर यह हानिकारक नहीं होता और अपने आप ही दर्द सही हो जाता है| 

कितने समय के बाद डॉक्टर से इलाज लेना चाहिए?

पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद होना काफ़ी हद तक एक सामान्य दर्द होता है जिसमे बिना किसी डॉक्टर से घरेलू इलाज की मदद से निवारण किया जा सकता है| ज्यादातर मामलों में इस दर्द के कोई हानिकारक कारण नहीं होता है तो अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को ऐसा दर्द होता है तो उसको यह पता होना जरुरी है| 

लेकिन अगर यह दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो हो सकता है ये किसी बुरी खबर का संकेत जिनमे से एक गर्भधारणा खत्म भी हो सकती है और ऐसे समय पर आपको किसी डॉक्टर से जांच करा कर दर्द होने का सही कारण जान लेना चाहिए या फिर जिससे अपने आईवीएफ प्रक्रिया उनसे सम्पर्क करना चाहिए| 

  • ज्यादा तेज दर्द- अगर होने वाला दर्द बहुत ज्यादा है और सहन नहीं हो पा रहा है तो ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें| 
  • लगातार दर्द- अगर असहजता या दर्द कई दिनों तक रहती है या बढ़ती जाती है, तो अपने प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लें सकते है| 
  • अन्य लक्षणों के साथ-  अगर किसी महिला को भारी रक्तस्राव, बुखार, मतली या उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो किसी भी जटिलता को रोकने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें| यह लक्षण भ्रूण के बाहर निकलने का हो सकता है|  

 अगर आपको इसमें से कोई दिक्कत है तो आप Dr. Rita Bakshi से इसके बारे में सलाह ले सकते हैं| 

निष्कर्ष- 

भ्रूण स्थानांतरण के बाद पेट के निचले हिस्से में दर्द होना आम बात है लेकिन हम Risa IVF में इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं की ऐसे पेट में दर्द में का सही कारण बताये और इसका निवारण भी बताते हैं साथ ही में  ऐसे दर्द से निपटने के लिए आप कुछ उपाय घर पर ले सकते है जैसे की किसी गर्म चीज से सिकाई, आराम और पानी अधिक पिए| 

हालांकि पेट के निचले हिस्से में दर्द भ्रूण स्थानांतरण के बाद होना एक सामान्य है जो कि अधिकतर हानिकारक नहीं होती, लेकिन अपने शरीर को जानना महत्वपूर्ण है

और अगर आपको चिंता हो या गंभीर या लगातार लक्षण हों तो डॉक्टर से सलाह लें और हमेशा याद रखे की आईवीएफ की प्रक्रिया में आपको अपने डॉक्टर से बात करने में देरी नहीं करनी चाहिए  इसलिए किसी भी तकलीफ बढे तो आपको तुरंत दिखा लेना चाहिए|