ओवरी रिज़र्व टेस्ट कब और कैसे कराएं? जानें पूरी बात

ओवरी रिज़र्व टेस्ट महिलाओं की प्रजनन क्षमता से जुड़ा एक ज़रूरी हिस्सा है। यह टेस्ट खासतौर पर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं या जिन्हें कंसीव करने में परेशानी हो रही है। सुनने में यह थोड़ा मेडिकल लग सकता है, लेकिन इसका मकसद केवल यह जानना होता है कि अंडाणुओं की संख्या और क्वालिटी कैसी है। इस ब्लॉग में हम आपको सरल भाषा में इसकी पूरी जानकारी देने वाले हैं।

 

Dr. Rita Bakshi, Senior IVF Specialist, RISAA IVF में पिछले 35 वर्षों से महिलाओं की प्रजनन समस्याओं का समाधान कर रही हैं। हमने अब तक हजारों कपल्स को पैरेंट बनने में मदद की है। इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि ओवरी रिज़र्व टेस्ट क्या होता है, यह कैसे किया जाता है, किन महिलाओं को यह करवाना चाहिए, और इससे जुड़ी बाकी जरूरी बातें भी।

ओवरी रिज़र्व टेस्ट क्या है? (What is Ovarian Reserve Test?)

ओवरी रिज़र्व टेस्ट एक खास प्रकार की जांच होती है जो यह बताती है कि महिलाओं के अंडाशय (ovaries) में अभी कितने अंडाणु (eggs) उपलब्ध हैं और उनकी गुणवत्ता कैसी है। हर महिला के पास जन्म के समय से ही अंडाणुओं की एक निश्चित संख्या होती है, जो उम्र के साथ धीरे-धीरे कम होती जाती है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह समझ पाते हैं कि महिला की प्रजनन क्षमता कितनी है और गर्भधारण की संभावना कैसी हो सकती है।

 

यह टेस्ट उन महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होता है जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हों या जिनके पास गर्भधारण में कोई परेशानी हो। ओवरी रिज़र्व टेस्ट के जरिए डॉक्टर सही समय पर उचित सलाह और इलाज कर पाते हैं। इसमें आमतौर पर खून की जांच और कुछ बार अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है ताकि अंडाणुओं की संख्या और स्वास्थ्य का आकलन किया जा सके। इस तरह, यह टेस्ट महिलाओं को अपनी प्रजनन स्वास्थ्य को समझने और सही निर्णय लेने में मदद करता है।

ओवरी रिज़र्व की भूमिका महिला की फर्टिलिटी में (Role of Ovarian Reserve in Female Fertility)

ओवरी रिज़र्व का मतलब होता है महिलाओं के अंडाशय में मौजूद अंडाणुओं की संख्या और उनकी गुणवत्ता। ये अंडाणु ही उस प्रक्रिया का आधार होते हैं जिससे महिला गर्भधारण कर पाती है। इसलिए, ओवरी रिज़र्व सीधे तौर पर महिला की प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी से जुड़ा होता है।

 

जब किसी महिला के अंडों की संख्या कम होना या उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती, तो गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। यह खासतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है, क्योंकि महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ अंडाणुओं की संख्या और उनकी ताजगी घटने लगती है। इसके अलावा, तनाव, हार्मोनल असंतुलन, या कोई बीमारी भी ओवरी रिज़र्व को प्रभावित कर सकती है।

 

ओवरी रिज़र्व की सही स्थिति जानना इसलिए जरूरी है ताकि महिलाओं को उनके फर्टिलिटी प्लानिंग में सही सलाह मिल सके। अगर ओवरी रिज़र्व अच्छी है, तो गर्भधारण की संभावना अधिक होती है। लेकिन अगर कम हो, तो समय रहते उचित इलाज या विकल्प जैसे IVF या एग फ्रीजिंग पर विचार किया जा सकता है। इस तरह, ओवरी रिज़र्व महिला की फर्टिलिटी का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है।

ओवरी रिज़र्व टेस्ट कब करवाना चाहिए? (When Should You Get an Ovarian Reserve Test?)

ओवरी रिज़र्व टेस्ट करवाने का समय हर महिला की उम्र, स्वास्थ्य और प्रजनन से जुड़ी स्थिति पर निर्भर करता है। अगर किसी महिला को गर्भधारण में परेशानी हो रही है या वह उम्र के उस मोड़ पर है जहाँ प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है, तो यह टेस्ट करवाना जरूरी हो जाता है।

 

आपको ओवरी रिज़र्व टेस्ट कब करवाना चाहिए?

 

  • आप 30–35 की उम्र पार कर चुकी हैं और गर्भधारण में कठिनाई हो रही हो
  • पीरियड्स अनियमित या बिल्कुल बंद हो गए हों
  • आपको बार-बार मिसकैरेज हो चुके हों
  • आपने पहले कोई सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन ट्रीटमेंट लिया हो
  • आपके परिवार में किसी को जल्दी मेनोपॉज़ हो गया हो
  • आप फ्यूचर फैमिली प्लानिंग के लिए egg freezing पर विचार कर रही हों
  • आप IVF या अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से पहले अपनी ओवरी की स्थिति जानना चाहती हों

ओवरी रिज़र्व टेस्ट के प्रकार (Types of Ovarian Reserve Tests)

Ovarian reserve को जांचने के लिए डॉक्टर कई तरह के महिला फर्टिलिटी टेस्ट करते हैं, जिनसे यह समझा जा सके कि अंडाशय में अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता कितनी है। ये सभी टेस्ट अलग-अलग तरीकों से जानकारी देते हैं, और ज़रूरत के अनुसार एक या एक से अधिक टेस्ट किए जा सकते हैं। इन जांचों से यह अंदाजा लगाया जाता है कि महिला की प्रजनन क्षमता कैसी है और क्या उसे किसी विशेष उपचार की ज़रूरत है।

 

ओवरी रिज़र्व टेस्ट के मुख्य प्रकार:


  • AMH टेस्ट (Anti-Müllerian Hormone Test):

एएमएच टेस्ट क्या है? यह सबसे सामान्य और विश्वसनीय टेस्ट होता है। खून की जांच के ज़रिए यह पता चलता है कि अंडाशय में कितने अंडाणु मौजूद हैं। AMH का स्तर जितना अधिक होता है, ओवरी रिज़र्व उतना अच्छा माना जाता है।


  • एफएसएच टेस्ट (FSH – Follicle Stimulating Hormone Test):

यह हार्मोन पीरियड्स के शुरुआती दिनों में चेक किया जाता है। अगर FSH का स्तर बहुत अधिक हो, तो इसका मतलब है कि अंडाणुओं की संख्या कम हो सकती है।


  • ईस्ट्राडियोल टेस्ट (Estradiol Test):

यह भी खून की जांच होती है, जो FSH टेस्ट के साथ की जाती है। यह हार्मोन ओवरी की कार्यक्षमता और अंडाणु बनने की क्षमता को दर्शाता है।


  • एएफसी टेस्ट (AFC – Antral Follicle Count):

इस टेस्ट में अल्ट्रासाउंड से देखा जाता है कि अंडाशय में कितनी छोटी-छोटी फॉलिक्ल्स (ग्रंथियां) मौजूद हैं। इन फॉलिक्ल्स से अंडाणु निकलते हैं, इसलिए इनकी संख्या ओवरी रिज़र्व का अच्छा संकेत देती है।


  • क्लोमिफीन साइट्रेट चैलेंज टेस्ट (CCCT):

इस टेस्ट में दवा देने के बाद FSH लेवल को दोबारा मापा जाता है। इससे यह परखा जाता है कि ओवरी दवाओं पर कैसे प्रतिक्रिया देती है।

ओवरी रिज़र्व टेस्ट कैसे किया जाता है? (How is the Ovarian Reserve Test Performed?)

ओवरी रिज़र्व टेस्ट एक आसान और सुरक्षित प्रक्रिया होती है, जिसका उद्देश्य महिला के अंडाशय में अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता का पता लगाना होता है। यह टेस्ट आमतौर पर खून की जांच और अल्ट्रासाउंड की मदद से किया जाता है, जिससे शरीर में मौजूद कुछ खास हार्मोनों और अंडाशय की स्थिति को समझा जा सके।

 

इस टेस्ट को करने के मुख्य तरीके इस प्रकार हैं:


  • खून की जांच (Blood Tests):

महिला से एक साधारण ब्लड सैंपल लिया जाता है। यह आमतौर पर पीरियड्स के पहले या दूसरे दिन लिया जाता है। इस सैंपल से AMH, FSH, और ईस्ट्राडियोल जैसे हार्मोन की मात्रा मापी जाती है। ये हार्मोन ओवरी की कार्यक्षमता के बारे में संकेत देते हैं।


  • एंट्रल फॉलिक्ल काउंट (AFC) – अल्ट्रासाउंड:

इस प्रक्रिया में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यह एक painless और कुछ मिनटों की प्रक्रिया होती है जिसमें देखा जाता है कि अंडाशय में कितनी छोटी फॉलिकल्स मौजूद हैं। ये फॉलिकल्स अंडाणु बनाने में सहायक होती हैं, और इनकी संख्या ओवरी रिज़र्व का संकेत देती है।


  • क्लोमिफीन साइट्रेट चैलेंज टेस्ट (CCCT) – यदि ज़रूरी हो:

इस टेस्ट के लिए महिला को कुछ दिन क्लोमिफीन नाम की दवा दी जाती है और फिर दो बार FSH लेवल मापा जाता है। इससे यह जाना जाता है कि ओवरी दवाओं पर कैसे प्रतिक्रिया देती है।

ओवरी रिज़र्व टेस्ट रिपोर्ट को कैसे समझें? (How to Understand Ovarian Reserve Test Results?)

ओवरी रिज़र्व टेस्ट की रिपोर्ट में कुछ हार्मोनों और फॉलिकल्स की संख्या का ज़िक्र होता है, जो यह बताते हैं कि महिला की अंडाणु बनाने की क्षमता कितनी है। हर महिला की उम्र और शरीर अलग होता है, इसलिए रिपोर्ट को हमेशा डॉक्टर की सलाह से समझना सबसे बेहतर होता है। फिर भी, कुछ बेसिक बातें हैं जिन्हें जानकर आप अपनी रिपोर्ट का सामान्य अर्थ समझ सकती हैं।

 

रिपोर्ट को समझने के मुख्य बिंदु:


  • AMH लेवल (Anti-Müllerian Hormone):

 

  • अगर AMH का स्तर 1.0 से 3.5 ng/mL के बीच है, तो यह सामान्य माना जाता है।
  • इससे कम होने पर ओवरी रिज़र्व कम हो सकता है।
  • ज्यादा होने पर कभी-कभी PCOS जैसी स्थिति भी हो सकती है।


  • FSH लेवल (Follicle Stimulating Hormone):

 

  • यह हार्मोन पीरियड्स के दूसरे या तीसरे दिन मापा जाता है।
  • अगर FSH का स्तर 10 mIU/mL से कम है, तो ओवरी की क्षमता अच्छी मानी जाती है।
  • अगर यह बढ़ा हुआ हो, तो यह संकेत हो सकता है कि ओवरी अधिक मेहनत से अंडाणु बना रही है।


  • ईस्ट्राडियोल लेवल (Estradiol):
  • यह हार्मोन भी पीरियड्स के शुरुआती दिनों में चेक किया जाता है।
  • बहुत अधिक या बहुत कम स्तर ओवरी फंक्शन में समस्या का संकेत दे सकते हैं।


  • AFC (Antral Follicle Count):

 

  • अल्ट्रासाउंड के ज़रिए देखा जाता है कि ओवरी में कितनी छोटी फॉलिकल्स हैं।
  • अगर दोनों ओवरी में मिलाकर 10 से 20 फॉलिकल्स दिखें, तो यह सामान्य रिज़र्व माना जाता है।
  • अगर फॉलिकल्स की संख्या बहुत कम हो, तो ओवरी रिज़र्व घटा हुआ हो सकता है।


  • CCCT रिपोर्ट (अगर किया गया हो):

 

  • क्लोमिफीन दवा के बाद FSH में कोई बड़ा बदलाव नहीं होना चाहिए।
  • अगर FSH बढ़ता है, तो ओवरी की प्रतिक्रिया कमजोर मानी जाती है।

कम ओवरी रिज़र्व के कारण और लक्षण (Causes and Symptoms of Low Ovarian Reserve)

कम ओवरी रिज़र्व का मतलब है कि महिला के अंडाशय में अंडाणुओं की संख्या या गुणवत्ता कम हो गई है। यह उम्र के साथ एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन कई बार यह समस्या उम्र से पहले भी हो सकती है। जब ओवरी रिज़र्व कम होता है, तो गर्भधारण में कठिनाई आ सकती है। नीचे कुछ आम कारण और लक्षण दिए गए हैं जो इस स्थिति से जुड़े हो सकते हैं।

कारण (Causes):

  • उम्र बढ़ना (Aging):

उम्र के साथ अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता दोनों कम होती जाती हैं, विशेषकर 35 साल के बाद।


  • जेनेटिक कारण (Genetic Factors):

कुछ महिलाओं को जन्म से ही कम अंडाणु मिलते हैं या कुछ खास जीन से जुड़ी समस्याओं के कारण ओवरी जल्दी थक जाती है।


  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर:

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से ओवरी पर हमला कर सकती है, जिससे अंडाणु प्रभावित हो सकते हैं।


  • सर्जरी या कीमोथेरेपी:

किसी कारणवश ओवरी पर सर्जरी या कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी से अंडाणु नष्ट हो सकते हैं।


  • धूम्रपान और खराब जीवनशैली:

धूम्रपान, अत्यधिक तनाव, और अस्वस्थ खानपान भी ओवरी की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

लक्षण (Symptoms):

  • अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स का रुकना
  • गर्भधारण में बार-बार असफलता
  • पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग या हल्के लक्षण
  • हार्मोनल बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, गर्मी लगना (hot flashes)
  • थकान और नींद की कमी महसूस होना

 

हालांकि कभी-कभी कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते, लेकिन अगर गर्भधारण में परेशानी आ रही हो या पीरियड्स अनियमित हों, तो ओवरी रिज़र्व टेस्ट करवाना फायदेमंद हो सकता है। समय पर जांच और सही इलाज से गर्भधारण की संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं।

अंतिम शब्द

ओवरी रिज़र्व टेस्ट एक महत्वपूर्ण जांच है जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को समझने में मदद करती है। इस ब्लॉग में हमने ओवरी रिज़र्व से जुड़ी सभी ज़रूरी बातें साझा की हैं। जैसे कि यह टेस्ट क्या होता है, इसकी भूमिका महिला की फर्टिलिटी में, इसे कब करवाना चाहिए, इसके प्रकार, कैसे किया जाता है, रिपोर्ट कैसे समझें और कम ओवरी रिज़र्व के कारण और लक्षण। हमारा उद्देश्य है कि आप बेहतर जानकारी के साथ अपने फर्टिलिटी से जुड़े निर्णय ले सकें।

 

RISAA IVF में, Dr. Rita Bakshi (सीनियर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और गायनेकोलॉजिस्ट) ने हज़ारों कपल्स की मदद की है सही इलाज चुनने में। यदि आपके मन में कोई सवाल है या आप जानना चाहते हैं कि ओवरी रिज़र्व टेस्ट आपके लिए ज़रूरी है या नहीं, तो बेझिझक हमें कॉल करें: 95555 44421 / 22 / 23 या ईमेल करें: [email protected].

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

  • ओवरी रिज़र्व कम हो तो क्या करें?

फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लें। समय पर टेस्ट कराकर IVF, IUI या एग फ्रीजिंग जैसे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।


  • क्या ओवरी रिज़र्व टेस्ट 100% सटीक होता है?

यह टेस्ट संकेत देता है लेकिन 100% भविष्यवाणी नहीं करता। अन्य जांचों के साथ मिलाकर सही तस्वीर मिलती है।


  • ओवरी के लिए कौन सा टेस्ट होता है?

AMH, AFC और FSH जैसे टेस्ट ओवरी रिज़र्व जानने के लिए किए जाते हैं।


  • नॉर्मल ओवेरियन रिजर्व फॉलिकल काउंट क्या है?

AFC अगर 8 से 15 के बीच हो तो सामान्य माना जाता है। 5 से कम होने पर रिज़र्व कम हो सकता है।


  • डिम्बग्रंथि रिजर्व परीक्षण क्या है?

यह टेस्ट अंडाणुओं की संख्या और क्वालिटी का अंदाज़ा लगाने में मदद करता है।