Azoospermia Meaning in Hindi
Azoospermia Meaning in Hindi

किसी भी महिला या पुरुष के लिए उसकी संतान का इस दुनिया में आना कुछ सबसे सुखद पलों में से एक होता है| लेकिन यह खुशी हर किसी को नसीब नहीं होती, ऐसे कई कारण होते है जिनकी वजह से महिला या पुरुष में बच्चा करने की क्षमता नहीं रह पाती| हम लोगों ने अधिकतर महिलाओं और उनके गर्भ से जुड़ी समस्या की वजह से संतान न होने की बाते तो सुनी है लेकीन आज हम पुरुष से संबंधित समस्या समझेंगे| 

निष्फलता जिसको इनफर्टिलिटी भी कहते है इसके दौरान महिला या पुरुष में गर्भधारण करने जितनी क्षमता नहीं रहती और ऐसी ही एक समस्या जिसमे पुरुष के पिता बनने की  क्षमता खत्म हो जाती है उसे एजुस्पर्मिया (Azoospermia) कहते है| इनफर्टिलिटी की समस्या जितनी बड़ी महिलाओ में है उतनी ही बड़ी ये समस्या पुरुष के साथ होती है इसलिए आज हम इस इनफर्टिलिटी की समस्या को समझेंगे और इसके मुमकिन उपाय देखेंगे| 

एजुस्पर्मिया क्या है? 

एजुस्पर्मिया एक ऐसी स्थिति है जिसके दौरान पुरुष के वीर्य में शुक्राणु नहीं होता है| सामान्य तौर पर गर्भधारण  के दौरान अंडे को निषेचित करने के लिए शुक्राणु का होना आवश्यक होता है| यह समस्या कई वजह से हो सकती है जैसे कि शुक्राणुओं को वीर्य तक जाने में आने वाली रुकावटें या शरीर द्वारा ठीक से शुक्राणु का उत्पादन नहीं करने के कारण शुक्राणु की कमी हो जाना| 

यह पुरुष में बांझपन का एक मुख्य कारण होता है , लेकिन एजुस्पर्मिया वाले पुरुषों को पिता बनने में मदद करने के लिए सर्जरी या सहायक प्रजनन तकनीकों जैसे उपचार उपलब्ध हैं लेकिन इसके इलाज को समझने से पहले ये जानना जरुरी है की एजुस्पर्मिया क्यों होता है| 

एजुस्पर्मिया होने का क्या कारण है? 

Azoospermia एजुस्पर्मिया मुख्य रूप से दो कारणों की वजह से हो सकता है: अवरोधक और गैर- अवरोधक|

  • अवरोधक एजुस्पर्मिया – अवरोधक एजुस्पर्मिया तब होता है जब शुक्राणु के उत्पादन सामान्य होने के बावजूद शारीरिक रुकावट के कारण शुक्राणु शरीर के बहार नहीं आ पाते| यह अवरोध पहले कभी हुई सर्जरी जैसे वासेक्टोमी, संक्रमण के कारण प्रजनन पथ में निशान या रुकावट, या वास डेफरेंस को प्रभावित करने वाली जन्मजात स्थितियों से उत्पन्न हो सकता है।

 

  • गैर-अवरोधक एजुस्पर्मिया गैर-अवरोधक टेस्टिस के अंदर की समस्याओं के कारण होता है जो शुक्राणु उत्पादन को बाधित करते हैं। शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करने वाले हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिक स्थिति में, आघात या चिकित्सा उपचार जैसे विकिरण या कीमोथेरेपी से होने वाली वृषण चोटें या और कुछ दवाएं शामिल हो सकती हैं जो शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकती हैं| 

 

Azoospermia एजुस्पर्मिया अवरोधक या गैर-अवरोधक किसी भी प्रकार की हो सकती है इसलिए सही समय पर इस बीमारी का पता लगाना भी बहुत जरुरी होता है| 

एजुस्पर्मिया  का पता कैसे लगाएं? (एजुस्पर्मिया के लक्षण)

इस बीमारी मे आमतौर पर दिखने वाले लक्षण नहीं होते क्योंकि यह मुख्य रूप से शरीर के अंदरूनी हिस्से पर असर करती है लेकिन प्रजनन क्षमता परीक्षण के दौरान इसका पता लगाया जा सकता है हालांकि, कुछ संकेत या लक्षण हो सकते हैं जो किसी व्यक्ति को चिकित्सा मूल्यांकन की तलाश करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं जैसे की – 

  • 1 साल तक असफलता – एजुस्पर्मिया का एक प्राथमिक लक्षण एक विस्तारित अवधि (आमतौर पर 35 वर्ष से कम उम्र के जोड़ों के लिए एक वर्ष और 35 वर्ष से अधिक उम्र के जोड़ों के लिए छह महीने) के लिए नियमित, असुरक्षित प्रजनन के बावजूद गर्भ धारण नहीं कर पा रहे है तो यह एक संकेत होता है| 

 

  • शरीर में बदलाव – हो सकता है की एजुस्पर्मिया होने का कारण हार्मोनल बदलाव या वृषण असामान्यताएं हो| इस परिस्थिति में पुरुषो को अपने प्रजनन में गिरावट नज़र आ सकती है तो उनको तुरंत जांच करा कर सही जानकरी का पता लगा लेना चाहिए| 

 

  • पुरानी समस्या – ऐसे पुरुष जिनके पहले बच्चे थे लेकिन दोबारा प्रयास करने के बावजूद फिर से ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो ये शुक्राणु उत्पादन या डिलीवरी में संभावित समस्या का संकेत दे सकते हैं, जिससे एजुस्पर्मिया की जांच की आवश्यकता हो जाती है|

 

इस बीमारी का खुली आँखों से देख पाना थोड़ा मुश्किल होता है तो अगर किसी को भी ऐसे लक्षण अपने अंदर दिखाई दें  या महसूस हो रहे है तो उसको तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा कर पुष्टि कर लेनी चाहिए| अब  सवाल आता है की अगर किसी को एजुस्पर्मिया की पुष्टि हो गयी है तो इसका इलाज क्या है? 

एजुस्पर्मिया का इलाज क्या है?

एजुस्पर्मिया  इलाज उसके होने वाले कारण (अवरोधक और गैर-अवरोधक) के ऊपर निर्भर करता है|

सर्जरी से सुधार:

यदि एजुस्पर्मिया शारीरिक रुकावट जैसे की वासेक्टोमी, वास डेफरेंस की जन्मजात अनुपस्थिति) के कारण होता है, तो सर्जरी प्रक्रियाओं से शुक्राणु के प्रवाह को बहाल किया जा सकता है| इसमें वास डेफरेंस को फिर से जोड़ने के लिए वासिक्टोमी रिवर्सल या प्रजनन वाली जगह के अन्य रुकावट वाले हिस्सों की सर्जिकल मरम्मत की जा सकती है| 

सहायक प्रजनन तकनीकें:

अगर सर्जरी से सुधार संभव नहीं होता है या सफल नहीं होता है, तो शुक्राणु को सीधे वृषण या एपिडिडिमिस से टी ई एस ई (टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन) (एपिडिडाइमल स्पर्म एस्पिरेशन) जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से निकाला जा सकता है। पुनर्प्राप्त शुक्राणु का उपयोग तब आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) या आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) जैसी तकनीकों के साथ निषेचन प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है| 

हार्मोनल थेरेपी:

अगर यह समस्या हार्मोनल असंतुलन के कारण हुई है तो हार्मोनल  थेरेपी के माध्यम से उसको दूर करने का प्रयास किया जा सकता है और इसके साथ उपचार शुक्राणु उत्पादन को उत्तेजित करने में मदद करता है

स्पर्म डोनर:

ऐसे मामलों में जहां एजुस्पर्मिया के उपचार असफल या संभव नहीं होते हैं, गर्भावस्था प्राप्त करने के विकल्प के रूप में आईवीएफ या आईसीएसआई के लिए स्पर्म डोनर का सहारा ले सकते है | यह सबसे आखिर में चुनने वाला उपाय होता है की जब पुरुष के पास किसी भी तरह का इलाज संभव न हो लेकिन इसके माध्यम से वह अपने परिवार में नई खुशियां ला सके| 

Azoospermia एजुस्पर्मिया क्या है और क्यों होता है समझना काफी नहीं होता, कई बार देखा गया है की समाज और दुनिया के दबाव की वजह से पुरुष अपने अंदर की समस्या से अकेले ही लड़ते है जो की उनकी दिक्कते बढ़ा सकती है|

अगर आपको भी किसी तरह एजुस्पर्मिया के लक्षण महसूस हो रहे है तो आपको बिना समय बर्बाद किए सारी जांच करा कर डॉक्टर (Dr. Rita Bakshi) से सलाह ले लेनी चाहिए| 

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