बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी
बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी के बीच संबंध और समाधान क्या है?

बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी एक ऐसा विषय है जो आज के समय में अधिकतर कपल्स के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे प्रजनन क्षमता पर इसका असर भी देखने को मिलता है, खासकर उन महिलाओं में जो देर से शादी करती हैं या फैमिली प्लानिंग में देरी करती हैं। यह विषय उन सभी के लिए अहम है जो अपने करियर, जिम्मेदारियों या किसी भी कारण से बच्चे की योजना को टालते हैं।

RISAA IVF में Dr. Rita Bakshi, जो एक Senior IVF Specialist और Gynecologist हैं, ऐसे कई कपल्स की मदद कर चुकी हैं जो बढ़ती उम्र में माता-पिता बनने का सपना लेकर आते हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से बताएंगे कि उम्र कैसे फर्टिलिटी को प्रभावित करती है, देर से शादी के क्या प्रभाव हो सकते हैं और IVF कैसे एक समाधान बन सकता है।

बढ़ती उम्र और महिला फर्टिलिटी का संबंध

बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी का गहरा संबंध होता है, खासकर महिलाओं के लिए। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, अंडाणुओं की संख्या और उनकी गुणवत्ता धीरे-धीरे कम होने लगती है। यह बदलाव महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे गर्भधारण करना कठिन हो सकता है। कई बार महिलाएं देर से शादी करती हैं या करियर और जीवन की अन्य ज़िम्मेदारियों के कारण बच्चे की योजना को टाल देती हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ गर्भवती होना स्वाभाविक रूप से थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

मुख्य बातें:

  • 35 की उम्र के बाद अंडाणु की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।
  • ओव्यूलेशन यानी अंडाणु बनने की प्रक्रिया नियमित नहीं रह सकती।
  • फर्टिलिटी ट्रीटमेंट जैसे IVF की जरूरत बढ़ सकती है।
  • उम्र बढ़ने से गर्भपात का खतरा भी थोड़ा ज़्यादा हो जाता है।
  • सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेने से बेहतर फैसले लिए जा सकते हैं।

पुरुषों की फर्टिलिटी पर उम्र का असर

बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पुरुषों पर भी पड़ता है। हालाँकि पुरुषों की प्रजनन क्षमता महिलाओं की तुलना में लंबे समय तक बनी रहती है, लेकिन उम्र के साथ उनके स्पर्म की क्वालिटी और मात्रा दोनों में कमी आ सकती है। इससे गर्भधारण में देरी हो सकती है या बार-बार असफलताएं हो सकती हैं। बढ़ती उम्र में स्पर्म की गतिशीलता घट जाती है, डीएनए में गड़बड़ी का खतरा बढ़ता है और इससे गर्भपात या शिशु में कुछ समस्याएं होने का रिस्क भी बढ़ सकता है।

मुख्य बातें:

  • उम्र के साथ स्पर्म काउंट और क्वालिटी में गिरावट आ सकती है।
  • स्पर्म की गति (motility) कम हो सकती है, जिससे निषेचन में दिक्कत आती है।
  • DNA fragmentation की संभावना बढ़ जाती है।
  • देर से पिता बनने पर बच्चे में कुछ जेनेटिक समस्याओं का रिस्क थोड़ा बढ़ सकता है।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पुरुष अपनी फर्टिलिटी को बेहतर बनाए रख सकते हैं।

देर से शादी और बांझपन: क्या है कनेक्शन?

बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी के बीच एक सीधा रिश्ता है। जब शादी की उम्र बढ़ जाती है, तो प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पर असर साफ़ दिखने लगता है। खासतौर पर महिलाओं में उम्र के साथ अंडों की संख्या और गुणवत्ता में गिरावट आती है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। वहीं, पुरुषों में भी उम्र बढ़ने से स्पर्म क्वालिटी प्रभावित होती है। इस वजह से देर से शादी करने वाले कई कपल्स को नेचुरल प्रेग्नेंसी में परेशानी होती है।

क्यों होता है ऐसा? आइए समझते हैं कुछ ज़रूरी बातें:

  • महिलाओं में उम्र का असर:
  • 30 के बाद और खासकर 35 की उम्र के बाद अंडाणु घटने लगते हैं।
  • हार्मोन बैलेंस बिगड़ सकता है, जिससे ओवुलेशन में दिक्कत आती है।

  • पुरुषों में उम्र का असर:
  • स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों उम्र के साथ घट सकते हैं।
  • डीएनए डैमेज या स्पर्म में गड़बड़ी के चांस भी बढ़ते हैं।


  • प्रेग्नेंसी में दिक्कतें:
  • नेचुरल तरीके से गर्भधारण के चांस कम हो जाते हैं।
  • कुछ मामलों में बार-बार गर्भपात या फर्टिलाइजेशन फेलियर भी हो सकता है।

शादी के बाद बच्चा न होना: क्या कारण हो सकते हैं?

शादी के बाद बच्चा न होना एक आम समस्या है, जिसे कई दंपति महसूस करते हैं। बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी का गहरा संबंध होता है, जिससे पुरुष और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता कम हो सकती है। इसके अलावा, हार्मोन की समस्याएं, तनाव, और अन्य शारीरिक कारण भी इस समस्या के पीछे हो सकते हैं। सही समय पर जांच और इलाज जरूरी होता है ताकि परिवार बढ़ाने में मदद मिल सके।

कारण:

  • महिला के अंडाणु और हार्मोन संबंधी समस्याएं
  • पुरुषों में स्पर्म की कमी या कमजोर होना
  • फॉलोपियन ट्यूब का ब्लॉक होना
  • तनाव और गलत जीवनशैली
  • बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी में कमी
  • यौन संबंधों में अनियमितता

शादी के बाद प्रेग्नेंसी में देरी क्यों होती है?

शादी के बाद प्रेग्नेंसी में देरी होना एक सामान्य समस्या है, जिसका कारण कई तरह के फैक्टर्स हो सकते हैं। बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी का संबंध इस बात में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि उम्र बढ़ने पर महिला के अंडाणु और पुरुष के स्पर्म की गुणवत्ता कम हो सकती है। 

इसके अलावा, हार्मोनल असंतुलन, तनाव, गलत जीवनशैली, और स्वास्थ्य समस्याएं भी गर्भधारण में बाधा डालती हैं। इसलिए, शादी के बाद अगर प्रेग्नेंसी में देर हो रही हो तो समय पर डॉक्टर से सलाह लेना और जरूरी जांच कराना जरूरी होता है।

IVF कैसे मदद करता है देर से शादी वाले कपल्स को?

आईवीएफ (in vitro fertilization) उन कपल्स के लिए एक बहुत मददगार तरीका है जो देर से शादी करते हैं और जिनकी फर्टिलिटी में उम्र के कारण समस्याएं आती हैं। बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी के कारण प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण मुश्किल हो जाता है क्योंकि अंडाणु की संख्या और गुणवत्ता कम हो जाती है। आईवीएफ प्रक्रिया में महिला के अंडाणुओं को डॉक्टर नियंत्रित तरीके से निकालकर लैब में शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है, जिससे भ्रूण बनता है और फिर उसे गर्भाशय में डाला जाता है। यह तरीका उन कपल्स के लिए उम्मीद की किरण साबित होता है, जिन्हें सामान्य तरीकों से प्रेग्नेंसी नहीं होती।

आईवीएफ के फायदे देर से शादी वाले कपल्स के लिए:

  • अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता कम होने पर भी सफलता के अवसर
  • उम्र के कारण कम होती फर्टिलिटी को बेहतर बनाने में मदद
  • हार्मोनल या अन्य स्वास्थ्य कारणों से प्रेग्नेंसी न होने पर विकल्प
  • विशेषज्ञ देखरेख में पूरी प्रक्रिया का नियंत्रण
  • बेहतर सफलता दर और सुरक्षित तरीका

एग फ्रीजिंग: फर्टिलिटी सुरक्षित रखने का तरीका

एग फ्रीजिंग (egg freezing), जिसे ओवेरियन स्टोरेज भी कहा जाता है, एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें महिलाओं के अंडों (ओवम्स) को निकाला जाता है और उन्हें फ्रीज करके लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाता है। यह तरीका उन महिलाओं के लिए खासतौर पर फायदेमंद होता है जो अपनी फर्टिलिटी को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना चाहती हैं। एग फ्रीजिंग से महिलाएं अपनी उम्र के साथ घटती फर्टिलिटी की समस्या को कुछ हद तक टाल सकती हैं, खासकर अगर वे अभी गर्भधारण के लिए तैयार नहीं हैं या कोई मेडिकल कारण हो जैसे कैंसर का इलाज।

एग फ्रीजिंग के फायदे:

  • फर्टिलिटी को भविष्य के लिए सुरक्षित करना
  • देर से प्रेग्नेंसी की योजना बनाना आसान
  • कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज से पहले फर्टिलिटी को बचाना
  • काम या व्यक्तिगत कारणों से बच्चे की प्लानिंग में देरी कर सकना

 

इस प्रक्रिया में महिला के अंडों को कुछ दवाइयों के जरिए विकसित किया जाता है, फिर उन्हें निकाला जाता है और खास तकनीक से फ्रीज कर दिया जाता है। जब महिला प्रेग्नेंट होना चाहे, तब ये अंडे डिफ्रीज करके इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

अंतिम शब्द

बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी का संबंध सभी के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की सोच रहे हैं। इस ब्लॉग में हमने बढ़ती उम्र और फर्टिलिटी से जुड़ी हर जरूरी जानकारी दी है। हमने बताया है कि कैसे बढ़ती उम्र फर्टिलिटी को प्रभावित करती है, इसके प्रभाव क्या होते हैं, और कब किस तरह की मदद जरूरी हो सकती है। हमारा उद्देश्य है कि आप सही जानकारी लेकर अपने परिवार को बढ़ाने के लिए बेहतर निर्णय ले सकें।

RISAA IVF में, डॉ. रिता बक्शी (सीनियर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और गायनेकोलॉजिस्ट) ने कई परिवारों को सही इलाज दिलाने में मदद की है। अगर आपके कोई सवाल हैं या आप जानना चाहते हैं कि आपकी स्थिति में कौन सा ट्रीटमेंट उपयुक्त रहेगा, तो कृपया हमें 95555 44421/22/23 पर कॉल करें या [email protected] पर ईमेल करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • कितनी उम्र की महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं?

महिलाएं आमतौर पर 45 से 50 साल तक प्रेग्नेंट हो सकती हैं, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है।

  • फर्टिलिटी के लिए सबसे अच्छी उम्र क्या है?

फर्टिलिटी के लिए 20 से 30 साल की उम्र सबसे उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इस समय अंडाणु की गुणवत्ता और संख्या बेहतर होती है।

  • महिला बांझपन के 4 कारण क्या हैं?
  • अंडाणु की कमी या खराब गुणवत्ता
  • फेलोपियन ट्यूब्स का ब्लॉकेज
  • हार्मोनल असंतुलन
  • यूटेरस या गर्भाशय की समस्या


  • महिलाओं में फर्टिलिटी कैसे बढ़ाएं?

संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से फर्टिलिटी बढ़ाई जा सकती है। साथ ही, तनाव कम करना और डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है।